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________________ अथ दिनचर्या नामाख्यं द्वितीयोल्लासः : 69 नक्षत्रों में रक्तवस्त्र, प्रवाल, सुवर्ण और शङ्खादि को धारण किया जाना चाहिए।' विप्रस्वाम्यादीनां आदेशोनलङ्घनं ―― द्विजादेशे विवाहे च स्वामिदत्ते च वाससि । तिथिवारर्क्षशीतांशुविष्टयादि न विलोकयत् ॥ 26 ॥ यदि ब्राह्मण की आज्ञा हो जाए, विवाहावसर हो अथवा अपने स्वामी से वस्त्र ( कार्यालय पोशाक) प्राप्त हुआ हो तो उसे धारण करने में तिथि, वार, नक्षत्र, चन्द्रबल, विष्टिकरण आदि पर विचार नहीं करना चाहिए।" अन्यदप्याह न धार्यमुत्तमैर्जीर्णं वस्त्रं न च मलीमसम् । विना रक्तोत्पलं रक्तं पुष्पं च न कदाचन ॥ 27 ॥ श्रेष्ठ पुरुषों को कभी जीर्ण या मलीन वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए। इसी प्रकार रक्तोत्पल (लाल कमल) के अतिरिक्त अन्य कोई लाल रङ्ग का पुष्प किसी भी समय धारण नहीं करें। आकाङ्क्षन्नात्मनो लक्ष्मीं वस्त्राणि कुसुमान्यपि । पादत्राणानि चान्येन विधृतानि न धारयेत् ॥ 28 ॥ जिसे लक्ष्मी की आकांक्षा हो, उस व्यक्ति को किसी अन्य के पहने हुए वस्त्र, फूल और जूते धारण नहीं करने चाहिए । वस्त्रस्य नवभागानुसारे दग्धादिदोषे शुभाशुभाह नवभागीकृते वस्त्रे चत्वारस्तत्र कोणकाः । कर्णवृत्ति द्वयं द्वौ चाञ्चलौ मध्यं तथैककम् ॥ 29 ॥ चत्वारो देवताभागा द्वौ भागौ दैत्यनायकौ । उभौ च मानुषौ भागावेको भागश्च राक्षसः ॥ 30 ॥ (काजल - कालिख लगे हुए, कीचड़ - गन्दगी से सने हुए वस्त्र का शुभाशुभ जानने के विषय में कहा जा रहा है कि जो वस्त्र धारण करना हो, उसके कुल दैर्ध्य तीन से भाजित करें। इस प्रकार ) वस्त्र के नौ भाग होंगे जिसमें चार कोने के चार भाग, दो किनारे के दो भाग, दो पल्लू के दो भाग और एक मध्य का भाग-इन नौ * यह मत श्रीपति से तुलनीय है— करादिपञ्चकेऽश्विते सपौष्ण वासवे स्मृता । धृतिस्नु शङ्ख काञ्चनं प्रवालरक्त वाससाम् ॥ (रत्नमाला 4, 19) ** यह मत वराहमिहिर से तुलनीय है— विप्रमतादथ भूपतिदत्तं यच्च विवाहविधावभिलब्धम् । तेषु गुणै रहितेष्वपि भोक्तुं नूतनमम्बरमिष्टफलं स्यात् ॥ (बृहत्संहिता 71, 14 ) इसी प्रकार श्रीपति की उक्ति है— विप्रादेशात्तथोर्द्वाहे क्षमापालेन समर्पितम् । निन्द्येऽपि धिष्ण्ये वारादौ धार्यते नवाम्बरम् ॥ ( रत्नमाला 19, 8 )
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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