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________________ 68 : विवेकविलास अपने द्रव्य-सामर्थ्य के अनुसार शीत, ग्रीष्म, वर्षादि काल के लिए यथोचित वस्त्रों को क्रय करें और धारण कर आयु के अनुसार शृङ्गारादि करना चाहिए । वस्त्रधारणार्थ शुभवारं - ―――― वारा नवीनवस्त्रस्य परिधाने मताः शुभाः । सौम्यार्कशुक्रगुरवो रक्तवस्त्रे कुजोऽपि च ॥ 22 ॥ नवीन वस्त्र धारण करना हो तो बुधवार, रवि, शुक्र और गुरुवार शुभ जानने चाहिए। लाल वस्त्र पहनना हो तो मङ्गलवार भी शुभ होता है । शुभनक्षत्रमुहूर्तमाह — धनिष्ठाधुवरेवत्योऽश्विनीहस्तादिपञ्चकम् । पुष्यं पुनर्वसुश्चैव शुभानि श्वेतवांससि ॥ 23 ॥ श्वेत परिधान धारण करना हो तो धनिष्ठा, ध्रुव संज्ञक नक्षत्र (रोहिणी और तीनों उत्तरा), रेवती, अश्विनी, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा, अनुराधा, पुष्य और पुनर्वसु- इन नक्षत्रों को शुभ जानना चाहिए।* पुष्यं पुनर्वसुश्चैव रोहिणी चोत्तरात्रकम् । कौसुम्भे वर्जयेद्वस्त्रे भर्तृघातो भवेद्यतः ॥24॥ विवाहिता को कुसुम्बी (लाल) वस्त्र पहनना हो तो पुष्य, पुनर्वसु, रोहिणी, उत्तराफाल्गुनी, उत्तराषाढा और उत्तरा भाद्रपदा - इन नक्षत्रों को त्याग देना चाहिए क्योंकि इनमें लाल वस्त्र पहने तो पति का नाश होता है। रक्तवस्त्रप्रवालानां धारणं स्वर्णशङ्खयोः । धनिष्ठायां तथाश्विन्यां रेवत्यां करपञ्जके ॥ 25 ॥ धनिष्ठा, अश्विनी, रेवती, हस्त, चित्रा, स्वाती, विशाखा और अनुराधा - इन * श्रीपति का कथन है कि अश्विनी नक्षत्र में वस्त्र धारण करने से अधिक वस्त्र मिलते हैं। भरणी में वस्त्रधारण से वस्त्रों की हानि, कृत्तिका में अग्नि से वस्त्रदाह, रोहिणी में धनागम, मृगशिरा में वस्त्रों का चूहे द्वारा नाश, आर्द्रा में मृत्यु, पुनर्वसु में शुभफल, पुष्य में धनलाभ, आश्लेषा में वस्त्रनाश, मघा मे मृत्यु, पूर्वा फाल्गुनी में शासन से भय, उत्तराफाल्गुनी में धनलाभ, हस्त में कार्य सिद्धि, चित्रा में शुभफल, स्वाती में उत्तम भोज का लाभ, विशाखा में लोकप्रियता प्राप्त होती है— वस्त्रप्राप्ति स्तदपहरणं वडितदाहोर्थ सिद्धिराषोर्भातिमृति रथधनं प्राप्सिंरर्थागमश्च । मोक्षोमृत्युर्नरयति भयं सम्पदः कर्मसिद्धि रिष्टाऽवाप्तिस्याः सदशनमथो वल्लभत्वञ्जनानाम् ॥ (रत्नमाला 19, 1) इसी प्रकार अनुराधा में वस्त्रधारण करने से मित्रलब्धि, ज्येष्ठा में वस्त्र का क्षय, मूल में जल में डूबने की आशंका, पूर्वाषाढ़ा में रोग, उत्तराषाढ़ा में मिष्ठान्न लाभ, श्रवण में नेत्र पीड़ा, धनिष्ठा में अन्नप्राप्ति, शतभिषा में विष का भय, पूर्वाभाद्रपद में जल का भय, उत्तराभाद्रपद में पुत्र का लाभ और रेवती नक्षत्र में नवाम्बर धारण किए जाने पर रत्नों की प्राप्ति होती है - मित्रामिरम्बरद्धति: सलिलष्णुतिश्चोगोप्यमष्टामशनं नयनामयं च धान्यन्त्विषोद्भव। भयं जलभीर्धन रत्नाप्तिरम्बरलिलष्णुतिश्चरो गोथमृष्टमशनं न धृतेः फलमश्चिभाच्च ॥ तत्रैव 19, 2 )
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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