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________________ पर्यङ्कासनं - वामो दक्षिणजङ्कोर्वोरुपार्यङ्घ्रिः करोऽपि च । दक्षिणो वामजङ्घोर्वोस्तत्पर्यङ्कासनं मतम् ॥ 129 ॥ आसनस्थ प्रतिमा में दाहिनी जङ्घा और पिण्डी के ऊपर बायाँ पाँव और बायाँ हाथ स्थापित करें। इसके बाद बायीं जङ्घा और बायीं पिण्डी के ऊपर दाहिना चरण और दाहिना हाथ रखना चाहिए- इस आसन को विद्वानों ने पर्यङ्कासन कहा है। भुज चान्यलक्षणं - — अथ दिनचर्यायां प्रथमोल्लास : : 47 देवस्योर्ध्वस्य चर्चास्याज्जानुलाम्बिभुजद्वया । श्रीवत्सोष्णषियुक्ते द्वे छत्रादिपरिवारिते ॥ 130 ॥ भगवान् की प्रतिमा स्थानक हो तो उसकी दोनों भुजाएँ आजानुबाहू या घुटने तक लम्बी होनी चाहिए। स्थानक या आसनस्थ दोनों प्रतिमाएँ श्रीवत्स, उष्णीष या पगड़ी, दो छत्रादि और परिकर से युक्त होनी चाहिए। * छत्रत्रयं च नासाग्रोत्तारि सर्वोत्तम भवेत् । नासाभालान्तयोर्मध्ये कपोलवेधकृत्पुनः ॥ 131॥ नासिका के अग्रभाग के ऊपर तीन छत्र के अग्रभाग की सम रेखा आए, तो ये तीनों सर्वोतम जानने चाहिए । इसी प्रकार नासिका और कपाल के मध्य भाग में तिर्यक्, आड़ी रेखा से कपाल-वेध होना चाहिए । रक्षितव्यः परीवारे दृष्टाहां वर्णसङ्करः । न समाङ्गुलसङ्ख्येष्टा प्रतिमा मानकर्मणि ॥ 132 ॥ प्रतिमा के परिकर में पत्थर यदि वर्णसङ्कर हो उसकी सम्भाल रखनी चाहिए। ऐसे ही प्रतिमा का प्रमाण भी दो, चार, छह, आठ अङ्गुलादि में समसंख्यक हो तो इष्ट नहीं समझना चाहिए । सूत्रमानवर्णनं - ―――――― * अन्योन्यजानुस्कन्धान्तस्तिर्यक् सूत्रनिपातनात् । केशान्ताञ्चलयोश्चान्तः सूत्रैक्याच्चतुरस्रता ॥ 133 ॥ एक से दूसरी पैंदी तक आड़ा एक सूत्र, दाहिनी पैंदी से बायें कन्धे तक देवतामूर्तिप्रकरण में मण्डन ने कहा है कि तीर्थंकर पद प्राप्त करने वाले जिन देवताओं के लिए कैलाश समोशरण, सिद्धावर्ती व सदाशिव नामक सिंहासन बनाए जाएं। सिंहासनों को धर्मचक्र व परिकर में तीन पत्रों व छत्रों से अलंकृत करें। साथ ही लाञ्छन, श्रीवत्स, अशोक, वृष, वृश्चिक, दुन्दुभि से भी सजाएं – कैलाश समोशरणाब्जसिद्धावर्तिसदाशिवम् । सिंहासनं धर्मचक्रमुपरीह छत्रत्रयम् ॥ श्रीवत्सं - च तथाऽशोकं वृषां वृश्चिक दुन्दुभिः ॥ (देवता. 7, 69-70 तथा रूपमण्डनम् 6, 27 )
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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