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________________ अथ दिनचर्यायां प्रथमोल्लासः : 29 तीन गुण हैं। वायु तत्त्व के स्पर्श और शब्द-ये दो गुण हैं और आकाश तत्त्व का शब्द संज्ञक एक ही गुण है। प्रत्येक गुण की दस पल की स्थिति है। इस प्रकार पाँच गुणों से पृथ्वी तत्त्व की स्थिति 50 पल की है जबकि दूसरे तत्त्वों में अनुक्रम से एक-एक गुण कम होने से दस-दस पल कम होते जाएंगे। अतः जल तत्त्व की स्थिति 40 पल, अग्नि तत्त्व की 30, वायु तत्त्व की 20 और आकाश तत्त्व की 10 पल की स्थिति होती है। तत्त्वानुसारेण कार्यव्यवहारः . तत्त्वाभ्यां भूजलाभ्यांस्याच्छान्ते कार्ये फलोन्नतिः। दीप्तास्थिरादिके कृत्ये तेजो वाय्वम्बरैः शुभम्॥36॥ जब कोई सौम्य या शान्त कार्य करना हो तो पृथ्वी तत्त्व या जल तत्त्व ग्रहण किया जाना चाहिए। इससे फल प्रशस्त और उन्नतिप्रद रहता है। क्रूर तथा अस्थिर कार्य करना हो तो अग्नि, वायु अथवा आकाश तत्त्व लेने से शुभ फल मिलता है। तत्त्वचिह्नानिः पृथ्व्यप्तेजोमरुद्वयोमतत्त्वानां चिह्नमुच्यते। आद्ये स्थैर्य स्वचित्तस्य शैत्यकामोद्भवौपरे॥37॥ तृतीये कोपसन्तापौ तुर्येऽथ चञ्चलात्मता। पञ्चमे शून्यतैव स्यादथवा धर्मवासना॥38॥ इसके बाद, पृथ्वी आदि पाँच तत्त्वों में से कौनसा तत्व शरीर में विचारकाल में है, यह जानने के लिए पाँचों तत्त्वों के लक्षण कहे जा रहे हैं। जब पृथ्वी तत्त्व का शरीर में संचरण हो तो चित्त स्थिर रहता है। जल तत्त्व हो तो शीतलता और काम विकार की उत्पत्ति होती है। अग्नि तत्त्व हो तो क्रोध एवं सन्ताप व्याप्त होता है। वायु तत्व हो तो चित्त की चञ्चल प्रवृत्ति होती है और आकाश तत्त्व हो तो मन में शून्यता परिव्याप्त रहती है अर्थात् धर्म-वासना की प्रवृत्ति होती है। स्वरपरीक्षणविधिः श्रुत्योरङ्गुष्ठको मध्याङ्गल्यौ नासापुटद्वये। सृक्किणोः प्रान्त्यकोपान्त्याङ्गली शेषे गन्तयोः ॥ 39॥ न्यस्यान्तर्भूपृथ्व्यादि तत्त्वज्ञानं भवेत्क्रमात्। पीतश्वेतारुणश्यामैर्विन्दुभिर्निरुपाधिकम्॥40॥ स्वरानुसार वर्ण परीक्षण की विधि कही जा रही है। अपने कान में दोनों अंगूठे, नाक के दोनों छिद्रों में दोनों हाथों की मध्य की अङ्गलियाँ, आँख पर अंगूठे के पास की दोनों हाथों की अङ्गलियाँ और ओष्ठ के पार्श्व पर दोनों हाथ की अन्तिम
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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