SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अथ जन्मचर्या नाम अष्टमोल्लासः : 219 (अब मीमांसक मत को कहा जा रहा है) मीमांसकों के दो भेद हैं- कर्म मीमांसक और ब्रह्म मीमांसक। कुमारिल भट्ट और प्रभाकर ये कर्म मीमांसक होने से कर्म मानते हैं और वेदान्ती लोग ब्रह्म मीमांसक होने से ब्रह्म को मानते हैं। प्रत्यक्षमनुमानं च शब्दश्चोपमया सह। अर्थापत्तिरभावश्च भट्टानां षट्प्रमाण्यसौ॥ 259॥ भट्ट के मतानुसार प्रत्यक्ष, अनुमान, शब्द, उपमान, अर्थापत्ति और अनुपलब्धिये छह प्रमाण कहे गए हैं। प्रभाकरमते पञ्चैवै तान्यभाववर्जनात्। अद्वैतवादिवेदान्ति प्रमाणं तु यथा तथा॥260॥ . प्रभाकर के मतानुसार अनुपलब्धि को छोड़ दें तो शेष रहे पाँच ही प्रमाण होते हैं। अद्वैतवादी वेदान्ती भी ऐसा ही मानते हैं। सर्वमेतदिदं ब्रह्म वेदान्तेऽद्वैतवादिनाम्। आत्मन्येव सयो मुक्तिर्वेदान्तिकमते मता॥ 261॥ अद्वैतवादी वेदान्ती के मतानुसार यह सर्व जगत् ब्रह्मरूप है और अपने स्वरूप में लय होना, यही उनके मतानुसार मुक्ति है। अकुकर्मा सषट्कर्मा शूद्रानादिविवर्जकः। ब्रह्मसूत्री द्विजो भट्टो गृहस्थाश्रमसंस्थितः। 262॥ पापकर्म को वर्जित करने वाला, अध्यापन इत्यादि छह क्रियाओं का यथाविधि सम्पादन करने वाला, शूद्रान्न आदि न लेने वाला, यज्ञोपवीत धारक विप्र गृहस्थ भट्ट कहा जाता है। भगवान्नामधेयास्तु द्विजा वेदान्तदर्शने। विप्रगेहीभुजस्त्यक्तोपवीता ब्रह्मवादिनः ॥ 263॥ वेदान्ती मत के विप्र. संन्यासी 'भगवन्' नाम से कहे जाते हैं। वे यज्ञोपवीत धारण नहीं करते, विप्र के गृह आहार लेते हैं और एक ब्रह्म को ही सद्वस्तु मानते हैं। चत्वारो भगवद्भेदाः कुटीचरबहूदकौ। हंसः परमहंसश्चाधिकोऽमीषु परः परः॥ 264॥ 'भगवन्' नामाभिधान वाले संन्यासियों के चार भेद हैं- 1. कुटीचर, 2. बहूदक, 3. हंस और 4. परमहंस। ये उत्तरोत्तर श्रेष्ठ स्वीकारे जाते हैं। अथ बौद्धमतम् - बौद्धानां सुगतो देवो विश्वं च क्षणभङ्गरम्। आर्यसत्ताख्यया तत्त्व चतुष्टयमिदं क्रमात्॥ 265॥
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy