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________________ अथ जन्मचर्या नाम अष्टमोल्लासः : 171 वारेष्वर्कार्किभौमानां सङ्क्रान्तिमंगकर्कयोः। यदा तदा महर्घ स्यादीतियुद्धादिकं तथा॥36॥ यदि कर्क की संक्रान्ति (दक्षिणायन) और मकर संक्रान्ति (उत्तरायण) रविवार, शनिवार अथवा मङ्गलवार को हो तो महंगाई, अतिवृष्टि, दुकाल, युद्धादि होते हैं। सूर्यस्य पादविचारं मृगकर्काजगोमीनेष्वर्को वामांहिणा निशि। अह्नि सप्तसु शेषेषु प्रचलेइक्षिणांहिणा॥37॥ ऐसी मान्यता है कि मकर, कर्क, मेष, वृषभ और मीन-इन 5 राशियों में सूर्य रात्रि को बायें पाँव और शेष सात राशियों में दाहिनी पाँव पर प्रचलनमान होता है। स्वे स्वे राशौ स्थिते स्वास्थ्यं भवेद्दौस्थ्यं व्यतिक्रमे। चिन्तनीयस्ततो यत्नाद्रात्र्यहः प्रोक्त सक्रमः॥38॥ रात और दिन को बताया संक्रान्ति काल प्रयत्नपूर्वक विचारना चाहिए क्योंकि, वह अपनी-अपनी राशि में हो तो स्वास्थ्य देता है और विपरीत हो तो दुःखद होता रोहिणीशकटभेदं - आन्त्यिाङ्ग्रा तथा स्वातौ सति राहौ यदा शशी। रोहिणीशकटस्यान्तर्याति दुर्भिक्षकृत्तदा ॥39॥ यदि आर्द्रा नक्षत्र के प्रथम चरण में अथवा स्वाती नक्षत्र में राहु के होते हुए चन्द्रमा रोहिणी शकट का भेदन करे, तो उससे दुर्भिक्ष होता है।" मूसलयोगादीनां सफलं - -- -- -- - - * यह श्लोक नारदीयमयूरचित्रकं के मत से तुलनीय है-सङ्क्रान्तिर्जायते यत्र भास्करे भूसुते शनौ। तस्मिन मासिभयं घोरं दुर्भिक्ष दृष्टितो भयम् ।। (मयूर. 16, 20) **नारद का मत है कि यदि आषाढ़ मास में चन्द्रमा रोहिणी नक्षत्र के दक्षिण या दाहिनी ओर से होकर पास या दूर विचरण करता है, तो जगत के लिए कष्टकारी सिद्ध होता है। यदि चन्द्रमा रोहिणी से उत्तर या वाम ओर से होकर जाता है तब उत्पात होता है तथा दूर होकर गमन करने पर लोक का सुख जानना चाहिए। शकट के आकार वाले रोहिणी नक्षत्र के मध्य में यदि चन्द्रमा गमन करता है तब शोक, रोग, भय और दुःख को देने वाला होता है। यदि रोहिणी के पीछे हो अथवा अथवा आगे हो तो स्त्रियाँ कामियों के वशीभूत होती हैं- दक्षिणेन यदा याति रोहिण्यां रोहिणीपतिः। दूरस्थो निकटस्थो वा जगत्कष्टप्रदायकः ॥ उतरस्यां यदा याति रोहिण्यां रोहिणीपतिः। सोपसर्गातदावृष्टिरस्पृशन् सुखिनो जनाः ॥ रोहिणी शकटमध्यगः शशी शोकरोगभय दुःखदः स्मृतम्। शीतरश्मिमनुयाति रोहिणी कामिनो हि वशगास्तदाङ्गनाः ॥ (मयूर. 6, 31-33) तुलनीय- त्रैलोक्यज्योतिष रोहिणीयोगलक्षणं (श्लोक 23-32) .
SR No.022242
Book TitleVivek Vilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreekrushna
PublisherAaryavart Sanskruti Samsthan
Publication Year2014
Total Pages292
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size22 MB
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