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________________ १७० अध्यात्म-कल्पद्रुम से सूर्यास्त तक वाहन में जुते रहते हुए भी बैलों या घोड़ों की क्या दुर्दशा होती है ? उन्हें खाने को कितना दिया जाता है ? यह तो हम सभी जानते ही हैं। सरदी, गरमी या वर्षा के बचाव के लिए उनके पास क्या साधन हैं ? ओह ! मानव कितना क्रूर है । गाय, भैंस जब तक दूध देती है तब तक उसे भर पेट घास आदि देता है, पश्चात कम कर देता है । यद्यपि वह उसके बछड़े या पाड़े के लिए भी पर्याप्त दूध नहीं रखता है, वह पशु को भी धोखा देता है । बछड़े को छोड़कर गाय को विश्वास दिलाता है कि तेरा बच्चा ही दूध पिएगा लेकिन ज्योंही स्नेह के वशीभूत होकर गाय स्तनों में दूध उतारती है वह उसे जबरन खींचकर पास में ही बांध देता है व तमाम दूध निकाल लेता है । जब गाय भैंस दूध देना बन्द कर देती है तब पिछली तमाम सेवाओं को, दूध के दान तक को भुलाकर वह उस पशु को प्रकृति के भरोसे छोड़ देता है या कसाई को बेच देता है। उसकी ही दया के वशीभूत होकर धरती माता घास उगाती है, इन्द्रदेव जल बरसाते हैं, सूर्यदेव गरमी देते हैं, चन्द्रदेव शीतलता देते हैं, आकाश छाया देता है । इस प्रकार से मानव से (या दानव से) संतप्त प्राणियों की कुछ समय के लिए रक्षा होती है तो केवल प्रकृति देवी की कृपा से । बाकी मानव तो उन्हें मारकर खा तक जाते हैं । ओह ! जंगल में रहे हुए प्राणी स्वतंत्र तो हैं परन्तु आपसो वैर भाव से लड़ते हैं, तथा बड़े छोटों को मार खाते हैं । दुष्ट मानवों द्वारा शिकार व मनोरंजन के बहाने उनके प्राणों की आहुति होती है, कभी २ मात्र टांग या पंख ही टूट जाते हैं और निराधार
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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