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________________ १७ अपनी पेढ़ी के शेठ श्री भोगीलालजी मगनलालजी तथा शेठ श्री फकीरचन्दजी, हिम्मतलालजी बचुभाई पिता भगुभाई अहमदाबाद वालों का भी मैं आभारी हूं जो मुझे साहित्य के प्रकाशन की व्यवस्था के लिए सर्वदा सुविधा देते हैं । श्री जोरावरमलजी लोढ़ा उदयपुर वालों ने अपने स्वर्गीय युवा पुत्र श्री नवरत्नमलजी (भंवरलालजी ) की स्मृति में साहित्य प्रकाशन के लिए ५००) देने का वचन देकर मेरा उत्साह बढ़ाया है जिसके लिए में उनका आभार मानता हूं। उनकी प्रेरणा से मैंने यह साहस किया है अतः इसका श्रेय उनको है । मद्रास में स्वनामधन्य श्री रिखबदासजो भभूतमलजी ( प्रागवाट् कंपनी वाले) जो वहां स्वामीजी के नाम से प्रसिद्ध हैं उनका भी आभार मानता हूं । पुस्तक के ग्राहक बनवाने में सब तरह से मुझे सहायता दी है । उनका घर एक तपोवन है । आपके देख रेख में मद्रास में कई प्रवृत्तियां चलती हैं । जैन मिशन सोसायटी नामक संस्था बहुत ही जागृत है । इसके अन्तर्गत साहित्य प्रचार, साधर्मिक उद्धार, शिक्षा प्रसार, उद्योग, आम जनता की सेवा, कतल खाने बंद कराने का काम, कसाई खानों में कमी कराने का काम, कला निकेतन, संस्कृति रक्षण, जैन स्कूल, जैन गुरुकुल तथा तीर्थों की रक्षा आदि का काम होता है : श्री लालचन्दजी ढढ़ा, श्री पुखराजजी ( धन्नालालजो मंछालालजी), श्री पुखराजजी (जेठमलजी सुकनराजजी वाले), श्री कपूरचन्दजी, श्री सरदारमलजी, मूलचन्दजी, श्री अमृतलालजी, श्री धनराजजो, श्री देवीचन्दजी, को मैं नहीं भूल सकता हूं जिन्होंने मुझे हर तरह से सहायता दी इनका व अन्य सबका मैं आभार मानता हूं ।
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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