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________________ ग्राभार इस अपूर्व ग्रंथ की भूमिका लिखकर श्री यशपालजी जैन ने अपनी सरलता, साहित्याभिरूचि व धर्म भावना का परिचय दिया है । सतत साहित्य सेवा में सलंग्न रहते हुए भी मेरी प्रार्थना पर अवकाश निकाल कर जो अनुकम्पा प्रापने की है मैं उसका आभारी हूं । हिन्दी के पाठक आपसे चिरपरिचित हैं आप स्वनाम धन्य हैं । श्री जयभिखु ( बालाभाई वीरचन्द देसाई शाह अहमदाबाद ) जिन्होंने मेरी प्रार्थना पर ध्यान देकर अपना अमूल्य समय निकाल कर इस पुस्तक पर दो शब्द लिखे हैं अतः मैं आभारी हूं । गुजराती जनता आपकी कथाओं को चातक दृष्टि से देखती है । दोनों साहित्यिक महारथियों द्वारा दिए गए समय के दान के लिए मैं फिर आभार मानता हूं । इस ग्रन्थ के मुद्रण के लिए श्री जोब प्रिंटिंग प्रेस व हिंदी साहित्य मन्दिर अजमेर के मालिक वयोवृद्ध शांत दांत श्री जीतमलजी लूणिया व उनके निराभिमानी साक्षर सुपुत्र श्री प्रतापसिंहजी का मैं आभारी हूं। इस ग्रंथ की मेरी हस्त लिखित कॉपी अस्तव्यस्त, कटीफटी व कठिनाई से पढ़ी जाने वाली थी एवं प्रूफ में कई हेर फेर मैंने किए परन्तु इन तमाम मुसीबतों का आपने शांति से सामना किया तथा बड़ी सावधानी से मुद्रण कार्य सम्पन्न क्रिया अतः मैं आपका पुनः आभार मानता हूँ ।
SR No.022235
Book TitleAdhyatma Kalpdrumabhidhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFatahchand Mahatma
PublisherFatahchand Shreelalji Mahatma
Publication Year1958
Total Pages494
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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