SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 478
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ( ४५८ ) सिद्धान्तसार. धर्म वे.त्यारे तो महीनामा बे माया स्थानक तथा वर्षमां नव माया स्थानक सेवे तेमां पण श्राज्ञा धर्म दशे. जेम महीनामां त्रण नदी - संघे तो नवमा सबलो दोष लागे कधुं बे, तेमज महीनामां त्रण माया कपटानां स्थानक सेवे तो दसमो सबलो दोष लागे कयुं छे. दवे जेम एक महीनामां बेवार माया - कपटाइ सेव्यामां पाप बे, तेम मदीनामां बेवार नदी तर्यामां पण पापज बे; पण बद्मस्थ साधुने ज्ञानादिकनी जतना माटे नदी उतरवानो दोष लाग्या विना रहे नही थाने मोहकर्मने उदये कपटाइ पण लाग्या बिना रहे नही. तेथी जगवंते वारंवार नदी उतरवानो ने माया कपटाइनो नय उपजाववाने कयुं बे के " दे साधु ! तुं महीनामां त्रण नदी उतरीश तो अने महीनामां त्रणवार माया कपटाई करीश तो सबलो दोष लागशे. टालीने युं छे; पण " महीनामां बेवार तुं नदी उलंघजे ठाने बेवार माया कपटाइ करजे. " एम नयी कयुं. वली पांच मोटी नदो मदीनामांणवार उतरवी न कल्पे. तेनी शाख सूत्र ब्रहतूकल्प उदेशे चोथे. ते पाठः- !" एम जाषा नोक पs निग्गंथावा २ इमान पंचमहणवान महा उठान गलियान (विजिया. तोमासस्स दुख्खूत्तोवा तिरकूत्तोवा नतरित्तएवा संत रित्तएवा तंदा: - गंगा १ ज - मुणा २ सर ३ कोसिया ४ मदी ५. प्रदपुण एवं जाजा एरावर कुणालाए जय चकिया एगंपायं जले किच्चा एगंपायं थले किच्चा एवं से कप्पर तोमासस्स दुख्खूत्तोवा तिख्खुतोवा उत्तरित्तएवा संतरितएवा. जच नो एवं चक्किया एवं से नो कप्पर तोमासस्स दुकूत्तोवा तिख्खूत्तोवा उत्तरित्तएवा संतरितएवा. ॥ अर्थः- नो० न कल्पे नि० साधु साधवीने इ० ए श्रागल कदेशे
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy