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________________ शतपदी भाषांतर. कर्या पछी सर्वने वांदतां, तथा वांदीने काळनिवेदन करता,तथा प्रव्रज्यानी विधिमा सामायिकारोपन प्रवेदन करतां, तथा उत्थापनामां व्रतारोपनुं प्रवेदन करतां, तथा आलोचनानुं प्रवेदन करतां, एक एक खमासमणज चाले छे... वळी बौद्ध, ब्राह्मण, भागवत, तपस्वि, तथा दिगंबरोमां पण एकजं नमस्कार चाले छे. तेमज लोकमां जुहार तथा पगेलागणां पण एकजवार कराय छे. __ कोइ कहेशे के मोटा बे वांदणानी माफक संक्षेप वंदनमा पण बे खमासमण जोइये. तेनुं ए उत्तर छे के नीचे लख्या शास्त्रो भणतां प्रारंभे तथा समाप्ति थतां द्वादशावर्त वांदणां देवां एवी मर्यादा छे, छतां वाचनाचार्य कोइवेला द्वादशावर्त्त वांदणा अने कोइ वेळा छोभ वांदणा देवरावे छे, एम बे रीते आगमसंमत छे. माटे इहां नकी देवाना द्वादशावर्त वांदणाना स्थाने जो एक ख. मासमणे करीने पण छोभ वांदणां करे तो तेमां शुं पूछी शकाशे.? जेमना प्रारंभे तथा अंते वांदणां देवाय एवा ग्रंथोनां नाम नीचे मुजब छे.. १ अंग, उपांग, मूळ, तथा छेदना श्रुतस्कंध, अध्ययन, अने उद्देशा. २ एमनी नियुक्ति, भाष्य, चूर्णि, तथा वृत्तिओ. ३ ओघनियुक्ति, पिंडनियुक्ति, ओघभाष्य, नंदी, तथा अनु योगद्वार. ४ उपोद्घातनियुक्ति, तथा पयन्नाओ. ५ दशाश्रुतस्कंधनी दशाओ, भगवतीना शतको, ज्ञातानी धर्म कथाओ, अंतगड-अणुत्तरउववाइ-तथा निरयावळीना वर्गों, जीवाभिगमनी प्रतिपत्तिओ, पनवणाना पदो, सूरपन्नत्ति तथा चंदपन्नत्तिना पाहुडा तथा पाहुडपाहुडा, दशवकालि
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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