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________________ ( २४ ) शतपदी भाषांतर. तां अनुक्रमे सैकडा श्रावको करी शके छे. (८) कोइ कहे छे के रजोहरण न होय सारे पोतना अंतवडे प्रमार्जन कर आवश्यकचूर्णिमां कहेल छे. त्यां पोतशब्दे मुखवस्त्रिका लेशं, कारण के आवश्यकचूर्णिमा पुत्तावरिया शब्दे मुखवस्त्रिका कहेल छे. तेनुं उत्तर ए छे के पुत्तावरिया शब्दनी व्युत्पत्ति करतां पुत्ति शब्द छे, कंई पोतशब्द नथी. अने सिद्धांतमां पण सघळा स्थळे पुत्तिशब्दे मुखवस्त्रिका आवे छे पण पोतशब्दे नथी आवती. जो पोतशब्दे मुखवस्त्रिका आवती होय तो तेना अक्षर बतावो. अने पोतशब्द सामान्यवस्त्रनो पर्याय तो ठेकाणे ठेकाणे देखाय छे. (९) केटलाएक वळी आवश्यकचूर्णिना एक आलावानो खंडित भाग लइ मुखवस्त्रिका सिद्ध करे छे. ते अक्षर ए रीते छे के "विनयमूळ धर्म जाणी गुरुने वांदवा इच्छतो थको संडासा पडिलेही बेशीने मुखवस्त्रिका पडिलेहे. पछी मस्तक सहित काया प्र'मार्जीने उत्तम विनयवडे त्रिकरण शुद्ध वांदणा आपे." इहां ए उत्तर छे के ए अक्षर तो केवळ साधुना अनुष्टान बाबतना छे माटे एना पूर्वापर भाग छोडीने फक्त खंडित आलावो बताववो वाजवी नथी. अने पूर्वापर भाग तपासतां खुल्लु मालम पडशे के ते साधुना माटेज छे. कारण के त्यां कहेलं छे के बे हाथे रजोहरण लई संयतभाषाए आलोचना करवी, ते श्रावकने केम घटे? - (१०) कोई कहे के आवश्यकचूर्णिमां कृष्णना वांदणानी विधिमां पांच अभिगमन नथी त्यां ए उत्तर छे के त्यां राजा नीकल्यो ए पद तो छेज माटे ते पदनी व्याख्या करतां अतिदेशना बळे उपवाइमां कहेल कोणिकना आलावानी तमाम बिना आवी शके छे. ए माटेज चूर्णिमां पण पहेलो राजा नीकल्यो एवं कही आगळ लख्युं छे के बीजा राजाओ थाकीने बेठा.माटे
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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