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________________ ( १४०) शतपदी भाषांतर. (२६) एक स्नात्रकाळे पर्वतिथि ले छे, बीजा सूरज ऊगती वेला ले छे अने त्रीजा सांजना पडिकमणे आवती तिथि ले ले. (२७) एक चौदश क्षय थतां तेरसे पडिकमेछे,बीजा पूनमे पडिकमेछे. (२८) एक एक पटलक (पडलं) राखे छे, बीजा मुद्दल नथी राखता. (२९) एक श्रावण के भादरवो अधिकमास थतां ओगणपचास दहाडे पजूसण करे छे बीजा ओगणोतर दहाडे करे छे. (३०) एकना गच्छे एकज आचार्य तथा एकज महत्तरा होय छे, बीजाना गच्छे सगवड प्रमाणे एक के अनेक होय छे. वळी पूनमिया गच्छमां तो आचार्य गमे तेटला थाय छे, पण म. हत्तरा एकज थाय छे. (३१) एक सूत्रानुसारे आठम, चौदश, पूनम अने अमावासरूप चउपर्वी माने छे बीजा बीज, पांचम, आठम, अग्यारस, अने चौदशरूप पांचपर्वी माने छे. (३२) एक यक्ष, भट्टारिका, खेतरपाळ, अने गोत्रदेवतादिकनी पूजा तथा श्राद्ध मान्य राखे छे बीजा नथी राखता. (३३) एक जूनां कपडां पहेरवां माने छे बीजा नवांज पहेरवां मानेछे. (३४) एक ग्रहण वेळाए स्नात्र भणावईं माने छे बीजा नथी मानता. (३५) एक वर्षमा बेवार लोच करे छे बीजा प्रणवार करे छे. (३६) एक श्रावकोए ऊपाडेल वाहिका (पालखी) मां चडे छे बीजा नथी चडता. (३७) एक पोताना पगो ऊपर चंदनपूजा स्वीकारे छे बीजा नथी स्वीकारता. (३८) एक प्रणिधानदंडकनी बे गाथाज बोले छे बीजा चारे . गाथा बोले छे. (३९) एक शेषकाळे पण पीठफलक वापरे छे बीजा नथी वापरता.
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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