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(६१) महापाप कर्तुं छे. व्यवहारमा पण जेटली अने जेवी लायकात होय ते प्रमाणे ज अधिकारो अपाय छे, अन्यथा आपवामां देनारने नीचं देखq पडे अने लेनार तेनो डायरशाही उपयोग करे ए वात कांइ छानी नथी. तद्वत् अहीं पण बुध विगेरे योग्य देशना-धर्मस्वरूप बाल आदिने आपवाथी तथा बाल आदि योग्य धर्मस्वरुप बुध विगैरेनी पासे कथन करवाथी जे लाभ कल्याणना पंथे पहोंचवानो थवो जोइये ते न थता उलटो धर्मश्रद्धा खसेडवानुं बने छे. एटले नितान्त ते लोको पतितपरिणामी थइ धर्म पर अने उपदेशक आचार्योना प्रति अबहुमानी थइ बोलवा मांडे छे-"शुंव्याख्यानमांजइने करीये? त्यां तो झीj झीj कंताय छे, कांइ समजातुं नथी, समय नकामो जाय छे. केवल राजा राणीनी बातो वंचाय छे." विगेरे विगेरे. अतएव मूलकर्ता कहे छे के-यावी धर्मदेशना महापापकारी थाय. " खलु" निश्चयथी पाप पेदा करे छे, एटलुंज नहीं, किन्तु “उन्मार्गनयनं" प्रावी धर्मदेशना श्रोताने उन्मार्ग तरफ खची जाय छे. दाखला तरीके जेम बुधजनो वेशने अप्रधान माने छे तेमां मुख्यतया धर्म मानता नथी, ज्यारे बालजीवो तेमां धर्म माने छे. प्रधानतया ते धर्म छे एम समजी वेशने नमस्कार करे छे, पूजे छे, बहुमानथी माने छे, हवे बालजीवो सामे वेशमां धर्म नथी, ते तो अप्रधान छे, कारण के पासत्थाओ अने भांडो पण पोताना स्वार्थ माटे साधुवेश धारण करे छे; पण एतावन्मात्रथी