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जेमां विशेष आत्मकल्याण थाय तेवा कार्यों करवा चित्त करता नथी; माटे ज अत्रे मध्यम आचार सेवे तेने मध्यपबुद्धि जन देखाड्यो निष्कर्ष ए ज के - बीजी कोटीमां जणावेल सर्व लक्षणो मध्यमबुद्धिना जाणवा.
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" बुद्ध-लक्षण
त्रीजो वर्ग ' बुधजन " नो जणान्यो छे. आ वर्ग चन्ने वर्गथी सर्वथा भिन्न छे. आ वर्गना समूहमां एवी तो कुशाग्र बुद्धि होय छे के जेथी या लोको परापूर्वनो विचार कर्या पछी ज प्रत्येक कार्यों हाथ धरे छे. अर्थात् जेमां उभयलोकनुं कल्याण समायेलुं होय, बुद्धिमान् जनता विशेष प्रशंसा करे ने महात्माओ पण जेन पर पक्षपात धरावे, एवा जनप्रशंसनीय अने उभयलोकहितकारी या चारो जेओ सेवे. परमार्थ के जे लोको उपरनी टापटीप अथवा बाह्य क्रियाना खोखोथी प्रसन्न थता नथी, किन्तु शास्त्रानुसारी तच्चमार्ग अटलो छे अने ते सप्रमाण सयुक्तिक बराबर सत्य के के नहीं, आटलं तपास्या पछी ज दरेक कार्यों करे. एवं जे कार्योंथी शासनशोभा वधे, धर्मवृद्धि थाय अने अन्य आत्माश्रो पण धर्मी बने तेत्रा ज कार्यों जेओ करे. निष्कर्ष एज केवीतरागदर्शित मार्गनुं ज जे लोको बराबर आराधन करे, ज्ञान-दर्शन- चारित्ररूपी रत्नत्रयीनी सेवना करे, माटे ज यहीं ग्रंथकर्त्ताए " बुधस्तु मार्गानुसारीय:" बुध तेज जाणत्रो के जेनी मार्गानुसारी प्रवृत्ति होय.