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(१९९) सुंदरबोध ४ अने बहुलताए लोकप्रिय- ५.ए प्रमाणे या पांच लक्षणो 'धर्मसिद्धि' ना पूर्वपुरुषोए कहा छे. "स्पष्टीकरण"
औदार्य-विशाल चित्तनी वृत्ति, दाक्षिण्य-सर्वने अनुकूल वर्तन, पापजुगुप्सा-पापनो त्याग, पापनो खेद, निर्मलबोध-यथार्थ तत्वज्ञान, जनप्रियत्व-लोकोनो प्यार. श्रा पांचे धर्मसिद्धिना चिन्हो-लक्षणो जाणवा. प्राथी धर्मनी सिद्धि बराबर जाणी शकाय छे. पूर्वोक्त प्रत्येक लक्षगर्नु स्वरूप ग्रंथकार पोते ज आगल दर्शावे छे एटले अहीं तेनो विस्तार करवो अनुचित जणाय छे. अहीं लोकोनो प्यार गमे तेटला सुंदर सद्वर्तनथी सर्वथा प्राप्त करवो अशक्य छे, कारण के दुर्जनस्वभाव कोइथी जीताय तेवो नथी एटले सर्वज्ञो पण सर्वना प्रेमने पामवा असमर्थ बन्या छे, तो सामान्य सज्जनप्रकृति केम सर्वथा लोकप्यार पामी शके १ अतएव ग्रंथकर्ताए मूलमा 'प्रायेण ' ए वाक्यथी बहुधा लोकप्रियता ए गुण दर्शाव्यो.
"औदार्य' नामे प्रथम लक्षण- विस्तारथी स्वरूप दर्शावे छे."
औदार्य कार्पण्यत्यागाद्विज्ञेयमाशयमहत्त्वम् ।