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________________ २४२ विषयांक. विषय का नाम. पृष्ठांक. ६८ तीनप्रकारी, पांचप्रकारी, अष्टप्रकारी, सर्वप्रकारी, सत्रहप्रकारी व इकवीसप्रकारी पूजाका स्वरूप और विधि २३८ ६९ पूजामें कैसे पुष्प काममें लेने चाहिये ? उसका स्वरूप २४१ ७० पूजाप्रकरणसे इक्कीसप्रकारी पूजा ७१ स्नान करनेकी विधि २४३ ७२ प्रतिमाके स्वयंकारितादि भेद २५१ ७३ चैत्यमें से मकडीके जाले आदि आशातना टालने की विधि ७४ पूजाका अवश्यकर्त्तव्यत्व ७५ पूजामें धारण करने योग्य दशत्रिकआदिका स्वरूप २५५ ७६ विधि-अविधिपर चित्रकारपुत्र और दो ब्राह्मणोंकी कथा २५८ ७७ तीनप्रकारकी जिनपूजाका फल २६२ ७८ भक्तिके पुष्पपूजादि पांच भेद २६३ ७९ दूसरेकी जिनपूजाका द्वेष करनेपर कुंतलारानीकी कथा २६४ ८० आज्ञापालनरूप भावस्तवका स्वरूप . ८१ द्रव्यस्तवकी अपेक्षा भावस्तवकी उत्कृष्टता २६७ ८२ द्रव्यस्तवके ऊपर कुएका दृष्टांत २६८ ८३ जिनमंदिरको जानेका विचारआदिमें होनेवाला फल २६९ २५२ २५४ २६६
SR No.022197
Book TitleShraddh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJain Bandhu Printing Press
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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