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________________ ( ७४२ ) नहीं. फले हुए वृक्ष, फुलकी लताएं, सरस्वती, नवनिधानयुक्त लक्ष्मी, कलश, बधाई, चतुर्दश स्वप्नकी श्रेणीआदि चित्र शुभ हैं, जिस घर में खजूर, दाडिम, केल, बोर, अथवा बीजोरी इनके वृक्ष उगते हैं, उस घरका समूल नाश होता है. घर में जिनमें से दूध निकले ऐसा वृक्ष हो तो वह लक्ष्मीका नाश करता है, कंटीलावृक्ष होवे तो शत्रु भय उत्पन्न करता है, फलवाला होवे तो संततिका नाश करता है, इसलिये इनकी लकड़ी भी घरआदि बनाने के काम में न लेना कोइ २ ग्रंथकार कहते हैं कि, घरके पूर्वभाग में बडवृक्ष, दक्षिणभाग में उंबर, पश्चिम भाग में पीपल और उत्तरभागमें प्लक्षवृक्ष शुभकारी है । घरके पूर्वभाग में लक्ष्मीका घर (भंडार), आग्नेयकोण में रसोई घर, दक्षिणभागमें शयनगृह, नैऋत्यकोणमें आयुधआदिका स्थान, पश्चिमदिशा में भोजन करनेका स्थान, वायव्यकोण में धान्यागार ( धान्यके कोठे ) उत्तरदिशा में पानी रखनेका घर और ईशान कोण में देवमंदिर बनाना चाहिये । घरके दक्षिणभाग में अग्नि, जल, गाय, वायु और दीपक, इनके स्थान करना और उत्तर तथा पश्चिमभागमें भोजन, द्रव्य, धान्य और देव के स्थान बनाना चाहिये | घरके द्वारकी अपेक्षासे अर्थात् जिस दिशा में घरका द्वार हो वह पूर्व दिशा व उसी - के अनुसार अन्य दिशाएं जानो, छींककी भांति यहां भी सूर्योदय से पूर्वदिशा नहीं मानना चाहिये। इसी प्रकार घर बनाने -
SR No.022197
Book TitleShraddh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJain Bandhu Printing Press
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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