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________________ (५०६) उपयोग करे, २३ पुत्रके हाथमें सर्व धन देकर आप दीन हो जावे, २४ स्त्रीपक्षके लोगोंके पास याचना करे, २५ स्त्रीके साथ खेद होनेसे दूसरी स्त्रीसे विवाह करे, २७ पुत्र पर क्रोधित हो उसकी हानि करे, २७ कामीपुरुषोंके साथ स्पर्धा करके धन उड़ावे, २८ याचकोंकी करी हुई स्तुतिसे मनमे अहंकार लावे, २९ अपनी बुद्धिके अहंकारसे दूसरोंके हितवचन न सुने, ३० 'हमारा श्रेष्ठ कुल है। इस अभिमानसे किसीकी चाकरी न करे, ३१ दुर्लभ द्रव्य देकर कामभोग करे, ३२ पैसा देकर कुमार्गमें जावे, ३३ लोभीराजासे लाभकी आशा करे, ३४ दुष्टअधिकारीसे न्यायकी आशा करे, ३५ कायस्थसे स्नेहकी आशा रखे, ३६ मंत्रीके क्रूर होते हुए भय न रखे, ३७ कृतनसे प्रत्युपकारकी आशा रखे, ३८ अरसिकमनुष्यके सन्मुख अपने गुण प्रकट करे, ३९ शरीर निरोगी होते भ्रमसे दवा खावे, ४० रोगी होते हुए पथ्यसे न रहे, ४१ लोभ वश स्वजनोंको छोड़ दे, ४२ जिससे मित्रके मनमेंसे राग उतर जाय ऐसे वचन बोले, ४३ लाभके अवसर पर आलस्य करे, ४४ ऋद्धिशाली होते हुए कलह क्लेश करे, ४५ जोशीके वचन पर भरोसा रखकर राज्यकी इच्छा करे, ४६ मूर्खके साथ सलाह करनेमें आदर रखे, ४७ दुर्बलोंको सतानेमें शूरबीरता प्रकट करे, ४८ जिसके दोष स्पष्ट दीखते हैं ऐसी स्त्री पर प्रीति रखे, ४९ गुणका अभ्यास करने में अत्यन्त ही अल्प
SR No.022197
Book TitleShraddh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJain Bandhu Printing Press
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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