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________________ विषय व्यवहारसत्यवचनानां सप्रयोजनत्वनिरूपणम् व्यावहारिक अभेद की अपेक्षा 'दह्यते गिरः' भाषा सत्य पशुत्वस्योपाधित्वप्रतिपादनम् व्यवहारसत्याया लक्षणोन्नयनम् एकेन्द्रिय में स्त्रीत्वादिप्रतिपादन व्यवहारसत्य भावसत्यभाषालक्षणोन्नयनम् . दिक्शब्दार्थप्रदर्शनम् भावसत्यभाषा - ८ व्यवहार के दो भेद विषयमार्गदर्शिका पृष्ठ १४४ उत्कटत्व परिणामविशेषप्रयोज्य है- स्याद्वादी अनुत्कटरूप उत्कटरूप का प्रतिबन्धक नहीं है उत्कटत्व जातिस्वरूप नहीं है मुक्तावलीकारवचनापाकरणम् दिक्शब्दार्थावेदनम् योगसत्य भाषा - ९... साङ्कर्यस्य जात्यबाधकत्वविचारः विश्वनाथ-नृसिंह-गङ्गेशमतसमीक्षा .१४५ १४५ १४६ . १४६ १४७ १४७ १४७ . १४८ १४९ व्यवहारसत्यभाषा केवल लोकिकविवक्षाघटित. एकधर्मी में अनेक रूप नहीं हो सकते हैं- नैयायिक चुर्णिकारवचनविरोधपरिहार शुक्लेतर रूप को शुक्लरूपप्रतिबन्धक न मानने पर आपत्ति १५० चित्ररूपमीमांसा १५० १५० चित्ररूप के अस्वीकार में नीलावच्छेदेन पीतरूपप्रत्यक्षतापत्ति-नैयायिक . १५० मुक्तावलीदिनकरीयसमालोचना १५२ एक धर्मी में अनेक रूप प्रमाणसिद्ध है - स्याद्वादी.... १५१ नियतारम्भवाद अप्रामाणिक उदयनाचार्य-पन्नगाचार्य-शङ्कराचार्यमतसमीक्षा १५२ १५३ १५२ अतिरिक्त चित्ररूप अप्रामाणिक स्याद्वादी योग्य रूप का ही प्रत्यक्ष होता है अवयवगत अनुत्कटरूप अवयवी में . १५३ उत्कटरूप का प्रतिबन्धक-नैयायिक गङ्गेशमतसमालोचनम् १५० १४९ १५४ १५५ १५५ १५६ . १५६ १५६ १४७ विषय मुक्तावलीप्रभाकारमतखण्डनम् गङ्गेश-रघुनाथशिरोमणिमतपराकृतिः ध्येयंपदव्याख्यानम् विशेषण के अभाव में वर्तमान सम्बन्ध के स्वीकार में दोष मतभेदेन उपमास्वरूपनिरूपणम् औपम्यसत्य भाषा - १० पर्यायत्वनिर्वचनम् उपमान के दो भेद कल्पित उपमान भी प्रयोगार्ह कल्पित उपमान का प्रयोजन - अनित्यता आदि प्रतिपादन गदाधरमतगिलनम् भाषास्वरूप-विभागादिगोचरः विमर्शविशेषः स्वत उच्चारणनिर्वचनम् . शशशृङ्गादिवचनविमर्शः खरविषाणादि शब्द प्रयोजनवश उपादेय प्रत्येक उपमान के चार भेद उपमान भेद-प्रभेदादि का नकशा आहरण के चार भेद अपाय आहरण १/१ द्रव्यानुयोग में अपाय आहरण उपाय आहरण के चार भेद २/१. भावउपाय - अभयकुमार मंत्री द्रव्यानुयोगापायाहरणे विचारविशेषः विश्वनाथवचनस्याऽविश्वसनीयत्वाविष्करणम् स्थापना उदाहरण ३/१ प्रत्युत्पन्नविन्यास उदाहरण ४/१ स्थापनाप्रत्युत्पन्नविन्यासयोः भिन्नत्वसाधनम् निषेध वचन से आत्मसिद्धि .. तद्देश उपमान २ द्रव्यानुयोग में अनुशास्ति तद्देश उपमान १/२ अनङ्गवज्रकृति-वाचस्पतिमिश्रयोर्मतखण्डनम् १५८ उपालम्भ तद्देश २/२ १५७ पृच्छा तद्देश ३/२ १५९ उपालम्भानुशास्त्योः वैलक्षण्यम्. (xxi) पृष्ठ १५६ १६० १६० १५९ १६१ १६१ १६२ . १६२ , १६३ . १६४ १६४ ....... १६५ १६५ १६५ . १६५ १६६ . १६६ . १६७ . १६७ १६९ . १६९ १७० १६९ १६९ . १७१ . १७२ १७२ १७३ १७३ १७४ १७५ १७५ १७६ १७६
SR No.022196
Book TitleBhasha Rahasya
Original Sutra AuthorYashovijay Maharaj
Author
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year2003
Total Pages400
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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