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________________ आगमप्रभाकरमुनिराजश्री पुण्यविजयजी म.ने प्रस्तुत ग्रंथ एवं आ. श्री मलयगिरिसूरिवृत्ति का संशोधन विविध प्रतों के आधार पर करके उसकी मुद्रणाहप्रति तैयार की थी । ला.द. भारतीय संस्कृति विद्यामंदिर स्थित यह प्रति पं. जितेन्द्रकुमार बी. शाह के सौजन्य से आ.मुनिचन्द्रसूरि म.सा. ने प्राप्त की । उस संशोधित प्रति का भी हमने संपूर्ण उपयोग किया है। विशेष में इस ग्रंथ के अंदर आ.प्र. श्री पुण्यविजयसंपादित शिवानंदि वाचकके टिप्पणके साथ महावीर विद्यालय द्वारा प्रकाशित ज्योतिष्करण्डक ग्रंथ के विशेष पाठ एवं शुद्धि आदिका सूचन भी टिप्पनक में किया है ताकि वाचक वर्ग को उस ग्रंथ का भी रसास्वाद हो । प्रथम सम्पादक आगमोद्धारकश्री आनन्दसागरसूरिजी म. एवं आगमप्रभाकर मुनि पुण्यविजयजी म. के हम ऋणी है। इस ग्रंथ के अनुवाद के दौरान कोई जिनाज्ञा विरुद्ध की प्ररूपणा हो गइ हो तो मिच्छामि दुक्कडम् । • ग्रंथ में लिए गए साक्षीपाठों को वृत्ति सहित उन ग्रंथो में से लेकर तीन परिशिष्ट भी तैयार किये है, ताकि अध्येता को उन साक्षी ग्रंथो का सहारा लेने की आवश्यकता न हो। • इस ग्रंथ के सर्जनमें सभी तरहसे मुझे सहायक बननेवाले सहवर्ती मुनिवरों की सहृदय अनुमोदना । • ग्रंथ प्रकाशनमें ज्ञाननिधिसे आर्थिक सहाय करनेवाले श्री जैन श्वे. पार्श्वनाथ ट्रस्ट (राजनांद गांव) की श्रुतभक्ति की भूरि भूरि अनुमोदना । • ग्रंथ के प्रिन्टींग, सेटिंग आदि में दिलके शुभभावसे सतत मुझे सहायक बननेवाले और सुंदरता के साथ इस ग्रंथ की छपाई करनेवाले 'किरीट ग्राफिक्स' के श्री किरीटभाई एवं श्री श्रेणिकभाई की भी इस अवसर पर अनुमोदना एवं धन्यवाद. अंतमें, स्व-पर उपकारार्थे सृष्ट इस ग्रंथ का अध्ययन-अध्यापन कर सभी आत्मा ज्ञानावरणीय के क्षयोपशम-क्षयको प्राप्त करें इस शुभकामना सह जिनाज्ञा विरुद्ध कुछ भी लिखा गया हो तो त्रिविध त्रिविध मिच्छामि दुक्कडम् । अषाढ वदी-०)) गुरुपुष्यामृत सिद्धियोग राजनांद गांव (छत्तीसगढ) पू.आ.नवरत्नसागरसूरि शिष्यपू.गणिवैराग्यरत्नसागर शिष्य मुनि पार्श्वरत्नसागर
SR No.022166
Book TitleJyotish Karandakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshvaratnasagar
PublisherOmkarsuri Aradhana Bhavan
Publication Year2013
Total Pages466
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Book_Gujarati, & agam_anykaalin
File Size35 MB
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