SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 6
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ५ सुसंपादनम् अद्यकालीन परंपरा में जैन शासन के अंदर उपलब्ध कइ ग्रंथो का अध्ययनअध्यापन जैसे रुक ही गया है, अवसर्पिणी कालके प्रभावसे कुछ साधु-साध्वीजी भगवंतो को भी संस्कृत - प्राकृत ग्रंथो के अध्ययनमें अब ज्यादा रुचि नही होती, इस कारण से जैन शासन के कई ग्रंथोंका अनेक विद्वान मुनि भगवंतो एवं पण्डितोने हिन्दी या गुजराती भाषा में अनुवाद करनेका कार्य शुरु किया है ताकि अपनी प्राचीन धरोहर रूप इन ग्रंथो का ठीक तरहसे अध्ययन तो हो शके ! इस बातको ही नजर समक्ष रखते हुये मुझे विचार आया की क्युं न उपयोगी ग्रंथों का हिन्दी या गुजराती भाषा में अनुवाद करके इन ग्रंथोंका अध्ययन सरल बनाया जाय ? " सूर्यप्रज्ञप्ति" नामके आगमग्रंथ के संक्षिप्त सारभूत 'ज्योतिष्करण्डक' नामके इस ग्रंथकी प्रति उज्जैन के खाराकुवा जैन संघ के ज्ञानभंडार में मेरी नजर में आइ, मैंने कंइ ग्रंथो में इस ग्रंथ के साक्षीपाठ देखे हैं अतः मेरे मनमें सहज स्फुरणा हुइ की एसे महत्त्वपूर्ण ग्रंथ का यदि सरल भाषामें गुजराती अनुवाद किया जाय तो विशेष लाभदायी होगा । सबसे पहेले तो ये ग्रंथ मैने अपने अध्ययन के लिये हि लिया था लेकिन बाद में एसा लगा की अध्ययन के साथ-साथ इसका गुजराती अनुवाद भी हो जाय तो अच्छा है यह बात मैंने प.पू. आ. भ. श्री मुनिचंद्रसूरि म.सा. से कही उन्होने भी मुझे बताया की इस ग्रंथ का अभी तक प्रायः गुजराती अनुवाद नही हुआ है, अतः आप खुशीसे अनुवाद कर शकते हैं । और मैने पूज्यश्री के आशीर्वाद से ग्रंथानुवाद प्रारंभ किया जिसकी फलश्रुति आज आपके समक्ष उपस्थित है ।
SR No.022166
Book TitleJyotish Karandakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorParshvaratnasagar
PublisherOmkarsuri Aradhana Bhavan
Publication Year2013
Total Pages466
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Book_Gujarati, & agam_anykaalin
File Size35 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy