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________________ नीम पासरांहसूरी टजाने कुरएाहार पए। हुंडासर्पिणी हसमो जछेरो लरमग्रह मान्योछे. ते भरमगृह बीतरे श्री घ्यामारग घीपतो थीयो. संपत पंदरसे जेस्मीसें श्रीगुजरात देशे सहीमहाबाह नगरने वीशे जोशवालवं सी साहसको वेशे तेनाएगाबटनो व्यापारउरे, खेडछा खेड बुवान जान्यो तेरो महमुदी रोकना होडडा सीधा. ते संडेसाहे हीया तेऐोते हीन होउजनी पीडीमार पाशेषी थोडी जिवेयाती सांघी ने हएावाने मारे घेरमर्धथाल्यो. जेहेब व्यापार अमर्थनो मुसन्नएसी जेवात प्रतक्ष हेजी वैरागीपनो संवेगलाव माझी नारगाना व्यापारनो सम उरी पोताने घेर रखाव्यापछीसीद्धांतसजवा बोधमाय ॥घोपा || सर्वतपना मेउतीसो गयो । जे कुसुमेत मततीहां ययो ॥ए जही महाघाट नगर मोजार या संकोसाह पसे सुविचार ॥। १८८ नेने हेजे इषी खायार ॥। ते गाधानोडरे बीधार ।। ग्रंथ सरथ मेसे तेंह घएयो । विधम मांडे लजबातो शा तेथे तने मल्यो सजमसी ॥ तेणे जीहु बात बीमारी ईसी ॥। सुत्रे खोल्यो ने खायाशते से पासे नहीं लगा। आप लोग्रंथने राजे बेस । थापे नीत डुडोजियरेशा सोड बाहे लए नहीं ।। गूर लगी पाहेछे सही ॥ मा सुभेतोगुने लांजीन यादरा साथी ने पांजे पृषी डीया ।। साधुतगोतो नामनीग्रंथा खेतो हे = जीता सर्व साधुलांज्याछे निरबद्ध परनेतोजोले छे सावद्ध ए मेतीष निमीत महाशे परा ।। बैह डरे पाप दुर्मता । पुपनवरूपी नपी उरे बिहार ।। जमासमणे बोहोरे खाहार ।। जाधार्मि ले खवी 'पार॥ पापथडी नवटले सीगार ॥ जा लोड लोजवेलोले पज्या रागद्देज जहंडारे यग्पा। खेह ने बांहे जागे पाप । खेहवो सुमति डरे ताप पा ॥ यत ॥ संजयन बंदीजा ॥ मायर पीयरं गुरु ।। सेलावइ पसथारो ॥ रायाणं देवयायि ॥ १ ॥ पासर्थवंद माणस्य || नैव कितिन निर्जरा होइ ॥ जायकाय किलेशो || बंधइ कम्पस्न आइ ॥ २ ।। अर्थ ससकती देतां नेने घृत पयजाए। नथी तने वाहवा नहीं तेयाससार
SR No.022152
Book TitleSamkitsar Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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