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________________ शंटेपाड्यांतीम श्राबस्ने जटमर्द्दन धर्म जींज पुन्न उरावीने खतुरगतीसं सारमां नाज्या. नाम श्षी घराची धुर्त विद्याने ही इर्थता मांडी छे. नेत्रभासेल गीरनाराही ङ स्नाया वीपी पुनहीङ पीपाय वीषे राती रंगों उरी. छस मांग्याछे जातोयएगी युवतीने जे अंते तेथेने दुसीलडसे वेछे जेहुवास धुर्त चिद्यारजे उरी वंये छे हो नैन पेषधारी हाड़ा सेहवा हुई डीम स्रोछो ते जेएंगे इषी वेषे न्गय सर्व वंश्यो छे. सोङमाहीभगत्र गुरपरावे छे. शा ॥ श्रग्धरा ॥ सेषाहुंडावसप्पिण्यनु समयरुसन्भव्यभावा मुभावा ॥ त्रिंशय होयं खरचन खमितिवर्षस्थिति र्भस्मरासी ॥ श्रत्यंचापर्य जनमतहतयेतत्स मादुःखमाच्ये ॥ त्वेवंपुष्टे पुदुष्टेदनुकिस मधुना दुवभेोजैनमार्य ॥ ३० ॥ जेसंघटानी श्रीशमी अन्य उही, हुवे ने नो अर्थ उहेछे. सेषा जे सुरीनामत योरासी यास्यान्ते कुंडासर्पणीने लेगे पायमो जारो दुसम समय जीन्ने लक्ष्मग्रह, भीन्नने लेगे योयुं जसलती पुन्ननुं जछेरं हसमाने लेंगे पायमुवामनेनड से पायन्त्रेणे उरीने लव्य बना लाव ही या पग्या येर्यो उहीरने पांथे सा श्रवमांही हींस्थामार्ग हेजाज्यो ते पशुं ग्जोगएरात्री शमो लस्मग्रह व्याप्यो श्रीमाहावीर हेवने जन्म नजेत्रे खेडो तेरे उरी जीन मार्ग प्रगट यास्योछे सुद्धमार्गसौधर्मसाजा ढंडाएगी डीपरांठा मार्ग यास्या से मोरा साश्चर्य हीसे छे, ले श्रीनिनेंहनी पाएंगी डेवल से! घ्यामय यासी जावे छे. जायारंगप्रमुजे साज्य ने सच्चेजीवा सज्वेभूषा सव्वेसना नहतज्या घनीवयनातः मार्गसुपो नित्य यास्यो जावे छे. अनंत योची सीनी वाणी ने मार्ग हुएएयो सोड़ने छ: जी डीवा ने जटमईन दुराने ते दुष्टे पांथेडीना पोषणे धर्म यसाच्यो. अहो ! लाई निनमार्ग पामतां होंहीसो डी. पी. के सोझेनर मिथ्यात्वेपिश्ववापर्यो यायें हनीं परे लमाडी मुझ्याछे सृत मार्ग सोपाणो पर्णनी इसी मंडाली. इना जेसंघपटाने उरएाहारे पए। पंथमान हुडासर्पणी जसन्य पुन्य नामे हसमो जछेरे। मान्योछे. त्रीसमा लरमग्रहनो वरतन पीएए मान्यो
SR No.022152
Book TitleSamkitsar Granth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherUnknown
Publication Year
Total Pages176
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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