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________________ २०४ वृद्धानुगत्व गुण पर लोगों ने अत्यन्त प्रार्थना करके उसे उक्त व्यन्तर से छुड़ाकर घर ले गये। बाल मध्यमबुद्धि को पूछने लगा कि- हे भाई ! तूने उस वासभवन से निकलती किसी स्त्री को देखा है ? मध्यमबुद्धि ने कहा-हां देखी है. तब उसने पूछा-हे भाई! वह किसकी स्त्री थी? मध्यमबुद्धि बोला-वह यहीं के राजा की मदनकदली नामक रानी थी। ___ यह सुन बाल बोला कि वह मेरे समान व्यक्ति की कहां से होवे ? इस पर से मध्यमबुद्धि उसका आशय समझ कर कहने लगा कि हे भाई ! यह तुझे कौनसी बला लगी है, कि जिससे तू ऐसा दुःखी होता है । क्या तू भूल गया कि अभी ही तुझे बड़ी मेहनत से छुड़ाया है। यह सुन बाल कृष्ण काजल के समान मुख करने लगा। तब मध्यम कुमार उसे अयोग्य जान कर चुप हो रहा । इतने में सूर्यास्त होते ही बाल अपने घर से निकलकर उक्त राजा के घर को ओर रवाना हुआ। तब भाई के स्नेह से मुग्ध हो मध्यमकुमार उसके पीछे गया। वहां किसी पुरुष ने आ, बाल को मजबूत बांधकर रोते हुए को आकाश में फेका । तब " अरे कहां जाता है, पकड़ो, पकड़ो!" इस प्रकार बोलता हुआ मध्यमकुमार उसकी सहायता को आ पहुंचा। ___ इतने में तो वह पुरुष बाल को पकड़कर अदृश्य हो गया, तो भी मध्यम कुमार ने भाई की शोध करने को आशा से मुह नहीं मोड़ा । वह भटकता भटकता सातवें दिन कुशस्थलपुर में पहुँचा । परन्तु उसने किसी जगह भी अपने भाई का समाचार न पाया। तब वह भ्रातृवियोग से दुःखित हो गले में पत्थर
SR No.022137
Book TitleDharmratna Prakaran Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShantisuri, Labhsagar
PublisherAgamoddharak Granthmala
Publication Year
Total Pages308
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
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