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________________ पृष्ठ १६३ १६४ २०३ १४ ] विषयानुकमः विषय पृष्ठ | विषय नेगमादि ७ नय १५४ । (३) क्षेत्रलोक वलय-द्वीपादि १९१ संख्या प्रमाण : उपमा-परिमाण | विमान आदि अद्धर कैसे १९५ ज्ञान-गणना-भाव संख्या १५५ । (५) जीव पर चिंतनः लक्षणपारमार्थिक प्रत्यक्ष-परोक्ष १५६ साकार-निराकार उपयोग १६६ गम-अर्थमार्ग १५७ कालस्थिति-देह भिन्नताजिन वचन न समझने के अरूपिता १६८ ६ कारण १५९ स्वकर्मकर्तृत्व-भोक्तृत्वः ___ (२) अपाय विचय सांख्य दर्शन २०१ रागादि कषायो के अनर्थ (५) संसार-चिंतन अविरति-अनर्थ संसार ख ली होगा ? ४ क्रिया १६७ २०५ अनर्थ के दृष्टान्त १६८ (६) चारित्र-चिंतन चारित्र जहाज-सम्यक्त्वअनर्थो का मूलः राग (३. विषाकविचय | बंधन ज्ञान कप्तान ...... १७० कर्मों के प्रकृति-स्थिति स्थिरता के उपाय प्रदेश-अनुभाव १८००० शीलाङ्ग (४) संस्थान विचय १७३ (७) मोक्ष-चिंतन २१२ इसमें चिन्तनीय ७ पदार्थसंक्षेप जिलागम में जीवादि विचार २१४ ६ द्रव्य-८ लोक क्षेत्र धर्मध्यान के १० प्रकार जीव संसार-चारित्र-मोक्ष १७६ आज्ञादि ४-जीव-अजीव-भव(१) छःद्रव्य-संस्थान-आसन १७७ विराग-उपाय हेतु-विचय २१७ द्रव्यों का परिमाण व प्रमाण १८० | वस्तु में द्रव्यांश-पर्यायांश २२१ पर्यायः उत्पत्ति स्थिति नाश १८२ सच्चा विद्वान कौन ? नित्य में उत्पत्ति-नाश ? १८३ धर्मध्यान का मुख्य बाधक २२४ (२) पंचास्तिकायमय लोक १८५ पूर्वो के ज्ञान विना शुक्लजगत्कर्ता ईश्वर मानने में ध्यान कैसे ? २२५ १८७ | ३-४ थे शुक्ल के अधिकारी २२७ नामादि लोक ८ १८८ ध्यानान्तरिका पुनरुक्ति दोष कहां २ नहीं ? १६० | १२ अनुप्रेक्षा (भावना) २२८ २०१ २२३ दोष
SR No.022131
Book TitleDhyan Shatak
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherDivyadarshan Karyalay
Publication Year1974
Total Pages330
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size18 MB
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