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________________ ( १८६ ) विभाजन से उत्पन्न होने वाला है ऐसा जिनेन्द्र भगवान ने कहा है। उदा० दो परमाणु के संयोजन से द्वच गुक द्रव्य बना। अब वह पर. माणु द्रव्य नहीं रहा । पर उसमें पुन: अवयव या विभाजन हो तब वे पुनः दो परमाणु बनेंगे। 'बनेंगे' अर्थात् उत्पन्न होंगे । अस्ति का काय याने प्रदेशों का समूह । इन पांचों में प्रत्येक में देश प्रदेश हैं और प्रदेश छोटे से छोटा सब से बारीक अंश है । इससे पूरा द्रव्य प्रदेशसमूहात्मक है याने (प्रदेश अस्ति तथा काय =समूह) अस्तिकाय है । इस तरह काल के सिवाय पांचों द्रव्य स्वतन्त्र अस्तिकाय हुए । प्र० काल अस्तिकाय क्यों नहीं ? उत्तर- अस्तिकाय ऐसी वस्तु है कि जिसमें प्रदेश-समूह एक साथ होते हैं, एक ही समय में वह एक त्रिसमूह देखा जा सकता हैं । परन्तु काल तो जब कभी देखें तब वर्तमान एक ही समयरूप प्राप्त होता है। उसके पूर्व के समस्त अतीत समय नष्ट होने से वर्तमान समय के साथ एकत्रित नहीं दिख सकते । साथ ही बाद के समय से लेकर भावी अनन्त समय अभी उत्पन्न ही नहीं हुआ, इससे वर्तमान में वह भी एकत्रित हआ नहीं मिल सकता। इस तरह कभी भी काल के अनेक समय इकट्ठे प्राप्त न होने से उसे अस्तिकाय कैसे कहा जा सकता है ? प्रश्न- चाहे एक समयरूप काल हो, पर विश्व में पंचास्तिकाय के अलावा उसका अलग नष्ट नहीं गिनने का क्या कारण है ? - उत्तर- कारण यह है कि पंचास्तिकाय में वह समाविष्ट है । इससे वह भिन्न द्रव्य नहीं। वह इस तरह से है कि काल का कार्य वस्तु में नयापन, पुरानापुन आदि पर्याय खड़ा करने का है । परन्तु वस्तु में जैसे उन उन कारणों से दूसरे पर्याय खड़े होते हैं, वंसे ही सूर्य चन्द्रादि को क्रिया के सम्बन्ध से काल पर्याय याने एक
SR No.022131
Book TitleDhyan Shatak
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherDivyadarshan Karyalay
Publication Year1974
Total Pages330
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size18 MB
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