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________________ को भी कर्मों के विपाक रुप फल के कारण भयंकर उपसर्गों का सामना करना पड़ा था, तब औरों की क्या बात ? इसलिये कर्मों से छुटने का उपाय करना चाहिये । यह उपदेश है। १६, दश श्रावक कुलक १ आणंद, २ कामदेव, ३ चुलणीपिता, ४ सुरदेव, ५ चुल्लशतक, ६ कुडकोलिक, ७ सद्दालपुत्र, ८ शतक,९ लान्तक और १० नन्दिनी प्रिय नामके भ० महावीर के भक्त दश श्रावक थे उनके निवास स्थल, उनकी पत्नियों के नाम और उनके परिग्रह वैभव वगैरह की नोंध दी हुई है। ये सब भ. महावीर की ग्यारह प्रतिमा वहन करने वाले सम्यक्त्वधारी भक्त श्रावक थे। 'उपासकदशांगसूत्र' में इन सब श्रावकों का वर्णन विस्तार से दिया हुआ है। १७. खामणा कुलक यह जीव आज मनुष्य योनि में आया है, उसने उत्तम कुल और उत्तम धर्म की प्राप्ति की है। धार्मिक समझदारी के कारण अपने पूर्व भवों में भ्रमण करते हुए किसी जीव को दुःख दिया हो उसकी क्षमायाचना रूप वर्णन है। क्षमायाचना कर्मों के क्षय का कारण बने ऐसी याचना है।
SR No.022127
Book TitleKulak Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandir
Publication Year1980
Total Pages290
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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