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________________ पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [गुजराती भाषामां नाथना वचमां लक्ष्मण, नेमिनाथना वारे श्रीकृष्ण वासुदेव थया. एमां त्रिपृष्ठ ७ मी नरके, दत्त ५ मी नरके, लक्ष्मण ४ थी नरके, श्रीकृष्ण ३ जी नरके अने वाकीना वासुदेव ६ ट्ठी नरके गया छे. पूर्वभवमां निदानकर्म बांधेल होवाथी वासुदेवो नियमा नरकेज जाय छे. चक्रवतीथी वासुदेवने बल, पराक्रम अने राज्यादि ऋद्धि अर्धी होय छे. माता | वासुदेव । पिता | माता आयुर्वर्ष नगरी त्रिपृष्ठ प्रजापति मृगावती | ८० ८४लाख पोतनपुर रद्विपृष्ठ ब्रह्मराज पद्मादेवी | ७० ७२लाख द्वारिका ३स्वयंभू भद्रराज पृथ्वीदेवी | ६० ६०लाख द्वारिका ४पुरुषोत्तम | सोमराज शीतादेवी | ५० ३०लाख द्वारिका ५पुरुषसिंह शिवराज अमृतादेवी ४५ १०लाख अम्बपुर ६पुरुषपुंडरीक महाशिर लक्ष्मीदेवी | २९ ६५हजारचक्रपुर अग्निसिंह शेषवती । २६ ५६हजारकाशी टलक्ष्मण दशरथ सुमित्रादेवी १६ १२हजारअयोध्या ९श्रीकृष्ण | वसुदेव देवकी १०१ हजारमथुरा वासुदेव अने बलदेवना पिता एकज अने माता जुदी जुदी होय छे. तेमज तनुमान अने नगरी पण सरखीज जाणवी. बलदेवोमां बलभद्र पांचमा देवलोकमां अने शेष संयमपाली केवलज्ञान पामी मोक्षमां गया छे.
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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