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________________ सारांश ५ उल्लास] पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. ५३ पंचम-उल्लास (स्थानक १४६ थी १७५) १४६-१४७ गृहस्थ अने केवलीकाल कुमार, राज्य अने चक्रीपणानो जे जिनवरनो जेटलं काल कहेलुं छे तेने भेगो गणवाथी गृहस्थकाल थाय छे. तेमज जै जिनेश्वरनो जेटलुं व्रतकाल बतावेल छ तेमांथी छमस्थकाल ओछो करतां शेष जे काल रहे, ते केवलि काल समजवु. १४८ जिनवरोनो दीक्षापर्याय ( व्रतक्राल )___ ऋषभदेवनो १ लाख पूर्व, अजितनाथनो एक पूर्वाङ्गहीन १ लाख पूर्व, संभवनाथनो चार पूर्वाङ्गहीन १ लाख पूर्व, अभिनंदननो आठ पूर्वाङ्गहीन १ लाख पूर्व, सुमतिनाथनो बार पूर्वाङ्गहीन १ लाख पूर्व, पद्मप्रभनो शोल पूर्वाङ्गहीन १ लाख पूर्व, सुपार्श्वनाथनोवीश पूर्वाङ्गहीन १ लाख पूर्व, चन्द्रप्रभनो चोवीश पूर्वाङ्गहीन १ लाख पूर्व, सुविधिनाथनो अट्ठवीश पूर्वाङ्गहीन १ लाख पूर्व, शीतलनाथनो २५ हजार पूर्व, श्रेयांसनाथनो २१ लाख वर्ष, वासुपूज्यनों५४ लाख वर्ष, विमलनाथनो १५ लाख वर्ष, अनन्तनाथनो साढी ७ लाख वर्ष, धर्मनाथनो अढी लाख वर्ष, शान्तिनाथनो २५ हजार वर्ष, कुन्थुनाथनो पोणा. २४ हजार
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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