SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 37
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १६ पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [गुजराती भाषामां ३५ जिन जननी गति श्रीऋषभदेवथी चन्द्रप्रभ लगण आठ प्रभुनी माताओ मोक्षमां, सुनिधिनाथथी शान्तिनाथ लगण आठ प्रभुनी माताओ त्रीजा सनत्कुमार देवलोकमां, कुन्थुनाथथी पार्श्वनाथ लगण सात प्रभुनी माताओ चोथा माहेन्द्र देवलोकमां अने वीरप्रभुनी माता त्रिशला चोथा देवलोकमां मतान्तरे बारमां अच्युत देवलोकमां गई छे. तेमज देवानन्दा ब्राह्मणी मोक्षमां गई छे. ३६ जिनजनक गति ऋषभदेवना पिता नाभि नागकुमारदेवमां, अजितनाथथी चन्द्रप्रभ लगण सात प्रभुना पिताओ बीजा ईशान देवलोकमां, सुविधिजिनथी शान्तिनाथ लगण आठ प्रभुना पिताओ त्रीजा सनत्कुमार देवलोकमां, कुन्थुनाथथी पार्श्वनाथ लगण सात प्रभुना पिताओ चोथा माहेन्द्र देवलोकमां अने वीर प्रभुना पिता चोथा, मतान्तरे बारमा देवलोकमां, तेमज ऋषभदत्त ब्राह्मण मोक्षमां गया छे. ३७-३८ दिक्कुमारी अने तेना कृत्यो-- जिन जन्म थाय छे त्यारे छप्पन दिकुमारीओना आसन कंपायमान थाय छे. तेथी तेओ अवधिज्ञानथी प्रभुनो जन्म जाणीने सुमेरुना गजदन्तादिना अधोलोके वसनारी ८, सुमेरुना ऊपर नन्दनवनना ऊर्ध्वक्टोमां रह
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy