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________________ ८६ पञ्चसप्ततिशतस्थानचतुष्पदी. [द्वितीय२९ जिनजन्मसमयमां आराओनो शेषकालत्रीजा तुरिय आरातणा, पक्ष नव्यासी शेष । ऋषभ वीर मोक्षे गया, काटि कर्म किलेश ॥९८॥ लाख चोरासी पूर्वपर, पक्ष नव्यासी शेष । तीजे आरे जनमिया, पेला ऋषभ जिनेश ॥९९॥ सहस वयाली ऊनकर, बोत्तर पूरव लाख । पचास लाख कोटि अयर, शेष अजित जनु भाख ॥१०॥ वीस लाख कोटी अयर, अधिका पूरव साठ । शेष दुचउ ऊन सहस, संभव जन्म सुठाठ ॥१०१॥ दश लाख कोटि अयरोपरि, पचास पूरव लाख । अभिनंदनजी जनमिया, ऊना तेहिज भाख ॥१०२॥ सहस बयाली हीन कर, लाख पूर्व चालीश । इगलख कोटी अयर शेष, सुमति जन्म जगईश ॥१०३॥ दश कोटी अयर सहस, लाख पूरव तीश । सहस वयाली हीन शेष, पद्म जन्म जगदीश ॥१०४॥ एक सहस कोटी अयर, अधिक पूर्व लख वीस । सहस वयालि वरस हीन, सुपार्श्व प्रसव गुणीस ॥१०५॥ शतकोटी सागर अधिक, दश लख पूरव जान । सहस बयाली हीन शेष, चन्द्र जन्म सुख मान ॥१०६॥ सुविधि दशकोटी अयर, अधिक पूर्व लख दोय । सहस वयाली हीन कर, जनम शेषमें होय ॥१०७॥
SR No.022123
Book TitlePanchsaptati Shatsthan Chatushpadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajendrasuri, Yatindravijay
PublisherRatanchand Hajarimal Kasturchandji Porwad Jain
Publication Year1935
Total Pages202
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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