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________________ (५७) संक्षिप्त विधि. कलके १४ नियम चितारेथे उसमें कमती लगा होय उसका लाभ होवे। अजाणमें जास्ती लगा होय उसका मन वचन काया करके " मिच्छामि दुकइं" यह कह कर तीन नवकार गिनके पार लो. नियम लेनेकी विधि. दिनको, शुबेहसे १४ नियम नीचे लिखे मुवाफिक शामके ५ पारतकके रख लीजिए. बाकी का त्याग होगया, तीन नवकार गिनकर जिनके पञ्चख्खाण कर कीजिये और जो पञ्चख्खाण करना होवे नवकारसी अथवा ज्यादा उसका पा कहके देसावगासी और विगयका पाठ कहलेना तथा गुरुमहाराजसे भी पचखाण करलेना. अब दिन भरमें जोजो उपभोगमें आया होवे उसकी विधि शामको मिला लेनी, फिर तीन नवकार गिनके पार लीजिये. रातके नियम ४ पहरके इसी रीतिसे चितार लीजिये, सवेरे मुंह, धोनेके पहले उसी रीतिसे पारके फिर धार लीजिये. यदि पाठ पहरके नियम करे तो रात दिनकी चीजें साथही धारलेनी, विगत- ( संख्या*) . ___* जिसको जितनी जरूरतहो उतनी चीजोकी संख्या प्रेकेटमें लिखलेनी ताकी धारनेमें सुभीता रहे. १ सचित्तमें ( . ) जात. वजन शेर ( २ द्रव्यमें ( ) जितने म्हूंमें जावे उनकी संख्याका नियम कर लेना. ३ विगयों ( ) जो छोडो उनके नाम खोल लेना. ४ वाणहमें जूते जोडे बूटजोडी ( ) स्लीपर जोडी( ) मोजे जोडी ( ) • ५ तंबोलमें पानकी बीडी ( .) इलायजी, सुपारी आदि तोले ( ) . ६ वत्यमें ( वस्त्र ( ) प्राभूषण ( ) . .. . ७ कुसममें फुल सेर ( ) - ८ पाहनमें ( ) तरते ( ) फिरते ( ) उडते ( ) चरते. ६ सयनमें ( ) जगेके जो लमे, आना, श्राना, बेठना. ( 1 ) मकान,
SR No.022110
Book TitleDharmratna Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyamuni
PublisherDharsi Gulabchand Sanghani
Publication Year1916
Total Pages78
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size6 MB
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