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________________ ( २४ ) रा) में त्रिलोचन नाम का पंडित के घर आया और दरबाजे पर सिपाई से पूछा कि पंडित जी हैं ! उत्तर मिला अभी मिलने का मोका नहीं हैं, तब खड़ा रहा उस समय एक लड़का बगीचा से फूल दांतण लेकर आया था एक आदमी ने उससे दांतरण मांगा, लड़के ने नहीं दिया और घर के अंदर जा पीछा कर फूल बगैर : वांटने लगा उस लड़के के जाने बद सिपाहि से पूछा कि लड़के ने प्रथम क्यों नहीं दिये, और पीछे दिये इसका क्या कारण उसने उतर दिया कि प्रथम स्वामी के सत्कार के लिये सब उसे अर्पण कर दिये, पीछे जो बाकी बचे सो सब को बांटना चाहिये। वो उसनें बांट दिये । थोडी देर में दूसरे घर पर दो आदमीने एक औरत से पानी मांगा. औरतने एक को घर में से लोटा लाकर दीया, दूसरे को धोबे से पानी पिलाया, सिपाई से पूछा कि औरत ने ऐसा भेद क्यों रक्खा ! उत्तर मिला कि एक उसका पति दिखता है दूसरा कोई मामुली आदमी है, इसलिये पति का सत्का र करना पत्नी का धर्म है. थोड़ी देर बाद एक पालखी में बैठ कर छोटी युबति आई जिसके आगे कितने ही आदमी उसकी प्रशंसा करते थे । सिपाई से पूछा कि यह क्या है? उत्तर दिया कि यह पंडित की लड़की विदुषी ( पढ़ी हुई ) है राजा के अंतःपुर में आज समश्याएं पूछी उसमें यह लडकी उत्तीर्ण हुई वहां से सिरपाव लेकर राज्यमान से आई है. सिपाई से पूछा क्या समस्या थी उत्तर मिला किंतेन शुद्धेन शुद्धयति यह समश्या के तीन पद और ब नाओ. पीछे लडकीने इस तरह उत्तर दिया है वह सुनो. यत्सर्व व्यापकं चित्तं मलिनं दोष रेणुभिःसद् विवेकांवु संपर्कात्, तेन शुद्धे न शुद्धयति ॥ ॥ सोमवसु विचार मेंपड़ा कि जिस पंड़ित का द्वारपाल सिपाई और लडकी भी ऐसे विद्वान हैं तो पंडित कैसा भारी विद्वान होगा ? थोडी देर में पंडित जी के मिलने का समय हुआ और वो भीतर गया और पंडितजी से मिला
SR No.022110
Book TitleDharmratna Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyamuni
PublisherDharsi Gulabchand Sanghani
Publication Year1916
Total Pages78
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size6 MB
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