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________________ (२०) गुना क्षमा करो, आप दीक्षा नहीं देते और मेरे पीछे यदि दुष्ट राजा के आदमी आते तो मेरे सतीत्व का नाश होता इस हेतु से मैंने इस बात को गुप्त रक्खी थी............साध्वीओं ने एक दयालु पुण्यात्मा श्रावक जिस ने उनको ठहरने के लिये घर दिया था उसे बुलाकर समझाया उसने सब इंतजाम करके उसके गर्भ की रक्षा की और कुछ दिन बाद पुत्र का जन्म हुवा पुत्र के जन्म के होने पर साध्वी ने फिर प्रायश्चित ले करके साध्वी के भेष में ही रही और लड़का श्रावक के पास ही रह कर बड़ा हुवा, और फिर वो क्षुल्लक नामसे प्रसिद्ध हुवा आठ बर्ष का होने पर साधुओं ने उसे समझाकर साधु बनाया, वो पीछे १२ वर्ष बाद युवावस्था की दुर्दशा से पतित होनेको तैयार हुवा. तबमाता ने समझा कर दाक्षिण्यता से साधु भेष में ही रक्खा दूसरे वक्त माता की गुरुणी ने तीसरी वक्त आचार्य ने समझाकर रक्खा, तो भी संसार की पासना दूर न हुई और वो अपने घर को जाने को तैयार हुवा तब माता ने उसको समझाने के लिये रत्न कंवल और राज्य चिन्ह की मुद्रिका जो श्रावक के घर में रक्खी थी वो दिलवा कर बेटे को कहा कि तुझे जो राज्य की ही इच्छा हो तो सुख से इन दोनों बस्तुओं को ले कर जा, अयोध्या में तेरे पाप का बड़ाभाई तुझे राज्य देगा. वो कुमार चलाऔर कोई दिन श्याम के वक्त अयोध्या में राज्य मैदान में आया जहां पर नटणी नाटक कर रही थी और राजा वगैरा सब देखने को आये थे नटणी की सुन्दरता से और नृत्य से मन तृप्त नहीं होने से राजा इनाम नहीं देता था और रात्रि अधिक जाने से लड़की थक कर समाप्त करना चाहती थी और पग की आवाज भी धीमा करने जगी उसकी माता ने देखा कि सब किये हुये खेल का नाश होवेगा इस लिये मधुर स्वर से एक गाथा वोली जिसका अर्थ यह था कि इतनी देर श्रम उठा कर जो लाभ का मौका प्राप्त किया है और इस समय जो बो देवेगी तो वो व्यर्थ आयगा और फिर जिन्दगी सक रखडना पड़ेगा. क्यों कि राजा आने का मोका कचित् होता है। इस लिथे प्रमाद छोड़ कार्य चालु रख, नटणी ने नृत्य चाल रक्खा उस समय जो राज कुमार माम्बामा उसको इस प्रथा से इतना आनंद होगया था कि माय मर्यादा चोद काम
SR No.022110
Book TitleDharmratna Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyamuni
PublisherDharsi Gulabchand Sanghani
Publication Year1916
Total Pages78
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size6 MB
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