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________________ (१६) एक लड़का बात ही बात में हंसी कर करके आनन्द मानता था, तो भी लोग उसे बच्चा जानकर उसकी बातों पर ख्याल नहीं करते थे, लेकिन बड़े होने पर भी उसकी बुरी आदत न छूट सकी, एक दिन नौकर होकर जंगल में भेड वरीयें चराने लगा और दोपहर को जोर से बूम पाड़ २ कर बोला, शेर आया २ ! चोतरफ से लोग दौड कर आये और पूछने लगे कि शेर कहां है ! वो हंसकर बोला ! यह तो मेरी आदत है ! लोगों ने उसे पागल समझ विना कहे ही चले गये, परन्तु एक रोज जब सच्चा शेर आया उस दिन लडके ने कई बूमें पाडी तोभी लोगों ने उसकी हंसी की आदत समझ कर उसकी मदद कोई भी नहीं आये कमनसीब लडके की बकरी भेडीयों का नाश हुवा और उनको बचाने को खुद गया तब शेर ने उसे भी मार डाला. इसलिये बच्चों की हंसी की आदत भी छुड़ानी चाहिये । (८) सुदाक्षिण्य. जो बडे लोग अच्छी बातों के करने की कहे उसकी करने को आदत. रखनी और अपना स्वार्थ बिगडे तो भी दूसरों का भला करना । ॥ क्षुल्लक कुमार की कथा ॥ · अयोध्या नगरी में राजा पुंडरीक राज करता था, और उसका छोटा भाई कुंडरीक था, यशोभद्रा नाम की उसकी देवांगना जैसी भार्या थी, राजा ने उसको देखकर प्रसन्न होकर उससे कुमार्ग में वर्तन करने की इच्छा से दासी के साथ बुलाई, छोटे भाई की बहु ने इस बात की उपेक्षा की तो भी राजा ने दुष्टता से उसके पति को मरवा दिया, अपने पति का मृत्यु जानकर छोटे भाई की बहु सतीत्व की रक्षा करने को देशांतर में भाग गई वहां जाकर रास्ते में साध्वीओं को देखकर उनके पास जाकर अपना दुःख सुनाया साध्वीओं ने संसार की असारता पर कुछ समझाया जिससे यशोभद्रा ने दीक्षा की प्रार्थना की परन्तु यशोभद्रा के उदर में थोडे दिन का गर्भ था उसकी सूचना उनको नहीं दी, थोडे दिन बाद जब गर्भ के चिन्ह प्रगट दीखे तब साध्वीओं ने पूछा कि ऐसा कपट तैंने क्यों किया है ! यशोभद्रा ने कहा मेरा ,
SR No.022110
Book TitleDharmratna Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManikyamuni
PublisherDharsi Gulabchand Sanghani
Publication Year1916
Total Pages78
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size6 MB
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