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________________ श्राद्धविधि प्रकरण आत्म तिलक ग्रंथ सोसाइटी की मिलने वाली पुस्तकें। जैन दर्शन,-इस मसिद्ध पूर्वाचाय श्रीमान् हरिभद्र भूरि जी महारानने छहों ही दशनोंका दिग्द. शन कराते हुये अकाट्य युक्तियों द्वारा जैनदर्शन का महत्व बतलाया है। प्रारम्भ में जैनधर्मके श्वेताम्बरीय एवं दिगम्बरी मुनियों का प्राचार वेष भूषा का वर्णन करके फिर जैन दर्शन में माने हुये धमास्तिकाय अधर्मास्तिकाय आदि षट् द्रव्यों एवं जीवाजीव, पुण्य, पाप, प्रारब, बन्ध, संवर, निर्जरा मोक्ष, आदि तत्त्वोंका सप्रमाण वर्णन किया है। हिन्दोभाषाभाषी जैन तत्वको जानने को इच्छा वाले जैनी तथा जेनेवर सज्जनों के लिये यह ग्रन्थ अद्वितीय मार्ग दर्शक है। शीघ्र ही पढ़कर लाभ उठाइये । मूल्य मात्र १) 'गृहस्थ जीवन'-इस पुस्तक में सरल हिन्दी भाषा द्वारा ग्रहस्थाश्रममें प्रवेश करनेके सरल उपाय बतलाए गये हैं। सामाजिक कुरीतियोंके कारण एवं तमाम प्रकार की सुख सामग्री होने पर भी मनुष्य किन किस सद्गुणों के प्रभाव से अपने अमूल्य जीवन को निष्फल कर डालता है इत्यादि का दिगदर्शन कराते हुये जीवन को सफल बनानेके एवं सुखी बनाने के सहज मार्ग बतलाए हैं। जुदे जुदे परि. च्छेदोंमें क्रपसे जीवन निर्माण, स्त्री पुरुष, सासु बहू, स्त्री संस्कार, वैधव्य परिस्थिति, आत्म संयम, एवं सच्चरित्रतादि अनेक उपयोगी विषयों पर युक्ति दृष्टान्त पूर्वक प्रकाश डाला गया है। यह पुस्तक जितना पुरुषों के लिये उपयोगी है उससे भी अधिक स्त्रियों के लिये उपयोगी है। अतः घरमें स्त्रियों को तो यह अवश्य ही पढ़ाना चाहिये, पक्को जिल्द सहित मूल्य मात्र ११) ___स्नेहपूर्णा-यह एक सामाजिक उपन्यास-नोवेल है। इसमें उत्तम मध्यम और जघन्य पात्रों द्वारा कौटुम्बिक चिन खींचा गया है। घरमें सुसंस्कारी स्त्रियोंसे किस प्रकार की सुख शान्ति और सारे कुटुम्ब को स्वर्गीय आनन्द मिल सकता है और अनपढ़ मूर्ख स्त्रियोंसे कौटुम्बिक जीवन की कैसी बिडम्बना होतो है सो पाबेडूब चित्र दिखलाया है। पुस्तक को पढ़ना शुरू किये वाद संपूर्ण पढ़े बिना मनुष्य उसे छोड़ नहीं सकता। यह पुस्तक भो पुरुषोंके समान ही स्त्रियोंके भी अति उपयोगी है। लगभग सवा दोसौ पृष्टकी दलदार होनेपर भी सजिल्दका मूल्य मात्र १) जैन साहित्यमा बिकार थवायी थयेली हानि यह पुस्तक पण्डित बेचरदासजी की प्रौढ़ लेखनी द्वारा ऐतिहासिक दृष्टिसे गुर्जर गिरामें लिखा गया है। श्री महाबीर प्रभु के बाद किस किस समय जैन. साहित्य में किस किस प्रकार का विकार पंदा हुवा और उससे क्या हानि हुई है यह बात सूत्र सिद्धा. न्तोंके प्रमाणों द्वारा बड़ी हो मार्मिकता से लिखी गई है । मूल्य मात्र १) सुखोजोवन-यह पुस्तक अपने नामानुसार गुणसंपन्न है। यह एक यूरोपियन बिद्वानको लिखी हुई पुस्तक का अनुवाद है। सुखी जिन्दगी बिताने की इच्छा रखने वाले महाशयोको यह पुस्तक अवश्य पढ़नी चाहिये मूल्य मात्र, सुर सुन्दरी चरित्र, यह ग्रन्थ साधु साध्वियों एवं लाइबोरियों के अधिक उपयोगी है मूत्य २)
SR No.022088
Book TitleShraddh Vidhi Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay
PublisherAatmtilak Granth Society
Publication Year1929
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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