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________________ २२६ श्राद्धविधि प्रकरणं तो जब लेने जाय, तब उसमेंसे क्लेष, विरोध, धर्म हानि, लोकोपहास्य; वगैरह, बहुतसे अनर्थ उपस्थित होते हैं। "मुग्ध शेठकी कथा" सुना जाता है कि, जिनदत्त शेठका मुग्ध बुद्धि वाला मुग्ध नामक पुत्र था। यह पिताके प्रसादसे सदा मौज मजामें ही रहता था, बड़ा हुवा तब दसनर-सगे सम्बन्धियों वाले शुद्ध कुलकी नन्दीवर्धन शेठकी कन्यासे उसका बड़े महोत्सवके साथ विवाह किया। अब उसे बहुत दफा ब्यवहार सम्बन्धी ज्ञान, सिखलाते हुये भी वह ध्यान नहीं देता, इससे उसके पिताने अपनी अन्तिम अवस्थामें मृत्यु समय गुप्त अर्थ वाली नीचे मुजब उसे शिक्षायें दीं। १ सब तरफ दातों द्वारा वाड़ करना । २ लाभ, खानेके लिए दूसरोंको धन देकर वापिस न मांगना । ३ अपनी स्त्रीको बाँधकर मारना। ४ मीठा ही भोजन करना । ५ सुख करके ही सोना । ६ हरएक गांवमें घर करना । ७ दुःख पड़ने पर गंगा किनारा खोदना ! ये सात शिक्षा देकर कहा कि, यदि इसमें तुझे शंका पड़े तो पाटलिपुर नगरमें रहने वाले मेरे मित्र सोमदत्त शेठको पूछना। इत्यादि शिक्षा देकर शेठ स्वर्ग सिधारे । परन्तु वह मुग्ध उन सातों हितशिक्षाओं का सत्य अर्थ कुछ भी न समझ सका । जिससे उसने शिक्षाओंके शब्दार्थके अनुसार किया, इससे अन्तमें उसके पास जितना धन था सो सब खो बैठा । अब वह दुःखित हो खेद करने लगा। मूर्खाई पूर्ण आचरणसे स्त्रीको भी अप्रिय लगने लगा। तथा हरएक प्रकारसे हरकत भोगने लगा, इस कारण वह महा मूर्ख लोगोंमें भी महा हास्यास्पद हो गया। अब वह अन्तमें सर्व प्रकारका दुःख भोगता हुवा पाटलीपुर नगरमें सोमदत्त शेठके पास जाकर पिताकी बतलायी हुई उपरोक्त सात शिक्षाओंका अर्थ पूछने लगा। उसकी सब हकीकत सुनकर सोमदत्त बोला-"मूर्ख ! तेरे बापने तुझे बड़ी कीमती शिक्षायें दी थीं, परन्तु तु कुछ भी उनका अभिप्राय न समझ सका, इसीसे ऐसा दुखी हुवा है ? सावधान होकर सुन ! तेरे पिताके बतलाये हुए सात पदोंका अर्थ इस प्रकार है: तेरे पिताने कहा था कि दांतों द्वारा वाड़ करना; सो दांतों पर सुवर्णकी रेखा बांधनेके लिए नहीं, परन्तु इससे उन्होंने तुझे यह सूचित किया था कि सब लोगोंके साथ प्रिय, हितकर योग्य बचनसे बोलना, जिससे सब लोग तेरे हितकारी हों। २ लाभके लिए दूसरोंको धन देकर वापिस न मांगना, सो कुछ भिखारी याचक सगे सम्बन्धियों को दे डालनेके लिये नहीं बतलाया परन्तु इसका आशय यह है कि अधिक कीमती गहने ब्याजपे रख कर इतना धन देना कि वह स्वयं ही घर बैठे विना मांगे पीछे दे जाय। ३. स्त्रीको बांध कर मारना सो स्त्रीको मारनेके लिये नहीं कहा था परन्तु जब उसे लड़का लड़की हो तब फिर कारण पड़े तो पीटना परन्तु इससे पहले न मारना । क्योंकि ऐसा करनेसे पीहरमें चली जाय या अपघात करले या लोगोंमें हास्य होने लायक बनाव बनजाय । ४ मीठा भोजन करना, सो कुछ प्रतिदिन मिष्ट भोजन बनाकर खानेके लिए नहीं कहा था, क्योंकि वैसा करनेसे तो थोड़े ही समयमें धन भी समाप्त हो जाय और बीमार होनेका
SR No.022088
Book TitleShraddh Vidhi Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTilakvijay
PublisherAatmtilak Granth Society
Publication Year1929
Total Pages460
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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