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________________ अध्यात्मकल्पद्रुम-विषयानुक्रमणिका शान्तरस १८ २१ १३ २७ मांगलिक अनुपम सुखके कारणभूत शान्तरसका उपदेश इस ग्रन्थके सोलह द्वार प्रथम समताधिकार. भावना भाने निमित्त मनको उपदेश इन्द्रियोंका सुख, समताका सुख । सांसारिक जीवके सुख-यतिके सुख समतासुख अनुभव करनेका उपदेश समताको भावना ( (Ideal) ) उसका दर्शन समताके अंग-चार भावना चार भावनाओंका संक्षिप्त स्वरूप उक्त चार भावनाओंका हरिभद्रसूरिकृत षोडशकानुसार स्वरूप प्रथम मैत्री भावनाका स्वरूप द्वितीय प्रमोद भावनाका स्वरूप तृतीय करुणा भावनाका स्वरूप चौथी माध्यस्थ भावनाका स्वरूप समताका दूसरा साधन-इन्द्रिय विषयोपर समता आत्मशिक्षा-विचार करनेकी भावश्यकता समताप्राप्तिका तीसरा साधन ज्ञानीका लक्षण अपने शत्रु मित्र-स्वपरको देखनेका उपदेश वस्तु प्रहण करनेसे पहिले विचार करनेकी भावश्यकता ३४ ४४
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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