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________________ अधिकार ] यतिशिक्षा [५६५ बतलाते हैं, और उनसे सदैव सचेत रहनेका इसमें उपदेश किया गया है शत्रुओंके नामः- . स्पर्श, रसे, गन्ध, रूपै और शब्द ये इन्द्रियोंके मुख्य पांच अथवा उत्तरभेदरूप २३ विषय हैं। मद्य, विषय, कषाय, विकथा और निद्रा ये पांच प्रमाद हैं। ... मन, वचन और काया के संवर रहित व्यापार । संयमके सत्तर स्थान पर प्रभाव अथवा अनुपयोग . असंयम । पांच महाव्रत, पांच इन्द्रियोंका दमन, चार कषायों का, त्याग और तीन योगोंका रूंधन, ये सत्तर संयमके भेद हैं । इनका प्रभाव असंयम कहलाता है । हास्य, रति, अरति, शोक, भय और दुगंछा ये ६ नोकषाय हैं, कषायको उत्पन्न करनेवाले हैं और संसारकी वृद्धि करनेवाले हैं । इसीप्रकार स्त्रीवेद, पुरुषवेद, नपुंसकवेद ये तीनों भी नोकषाय हैं और संसारकी बहुत वृद्धि करनेवाले हैं। __ ये सब महाशत्रु हैं जिनमेंसे कई मित्र भावसे दुश्मनी करनेवाले हैं और जीवको आकुलव्याकुल कर डालते हैं । इनसे सावध रहनेकी बहुत आवश्यकता है । नाम देनेका भी यही कारण प्रतीत होता है कि यह जीव इनको पहचानकर, भय रखकर इनसे सचेत रहे। सामग्री-उनका उपयोग. गुरूनवाप्याप्यपहाय गेह मधीत्य शास्त्राण्यपि तत्त्ववाश्चि । निर्वाहचिन्तादिभरायभावेऽ! प्यूषे न किं प्रेत्य हिताय यत्नः ? ॥५४ ॥
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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