SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खेला जानेवाला संसार-खेल, पौद्गलिक पदार्थोका अस्थिरपन, सगेसम्बन्धियोंका अशरणपन, आदि आदि अनेक विषयोंका वर्णन किया हुआ होता है । मुख्य विषयोंके साथ साथ गौणरूपसे इस जीवको संसारसे वैराग्य हो, वस्तुस्वरूप समझमें आ जाय, और भेदज्ञान प्राप्त हो इसके लिये अन्य अनेक शिक्षाके विषय अध्यात्म शाखमें भी चर्चित होते हैं । इन सबका केवल मात्र एक ही उद्देश होता है और वह यह कि प्रात्मा जो अपना सच्चा स्वरूप भूल बैठा है उसको प्रगट करनेके लिये भरसक प्रयत्न करना है । इससे यह भी निर्णय हो जाता है कि अध्यात्म ग्रन्थके अधिकारी कौन है? जिन्होंने प्रात्मशक्तिको पहचान लिया उसके शुद्ध स्वरूपको प्रगट करनेका निर्णय किया है प्रन्थके अधिकारी अर्थात् जिनको हम मुमुक्षु जीव कहते हैं वे ही इस ऋथके प्रथम श्रेणीके अधिकारी हैं और विशेषतया उन्हींको उद्देश कर ऐसे ग्रन्थ लिखे जाते हैं । सामान्य अधिकारियोंके दो विभाग हैं: जो आत्माके अस्तित्वका स्वीकार करते हों, परन्तु उसके वास्तविक स्वरूप और उसके पुद्गलके साथके सम्बन्धको न समझते हों उनमें रुचि उत्पन्न करनेके लिये ऐसे ग्रन्थ यथोचित कार्य करते हैं। ऐसे प्राणो इस प्रकारके ग्रन्थोंका अध्ययन कर तथा विचार कर वैराग्यभाव धारण करते हैं जिसके परिणामस्वरूप अल्प कालमें ही प्रथम वर्गमें प्रवेश कर सकते हैं। ऐसे मनुष्य भी ग्रन्थ पढ़नेके अधिकारी हैं । दूसरे विभागमें धर्मसे विमुख नास्तिकोंका समावेश होता है । वे ऐसे ग्रन्थके अधिकारी नहीं हैं, उनको ऐसे ग्रन्थोंसे बहुत कम लाभ होना संभव है । उनको गुरुमुखसे अथवा स्वतः अभ्याससे आत्माका अस्तित्व, उसके मोक्ष और कर्मका स्वरूप प्रथम समझ कर बादमें ही अध्यात्म ग्रन्थका अभ्यास या अध्ययन करना चाहिये। इस प्रकारसे किया हुमा अध्ययन ही उनको अधिकारी बना सकेगा। अब हमको सबसे आवश्यक विषयपर ध्यान देना चाहिये । यह यह है कि ऐसे अध्यात्म-वैराग्य प्रन्थोंकी इस जमानेमें कुछ . पाबंश्यकता है या नहीं ? अध्यात्मके अलावा
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy