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________________ १२६ विवेचन-ऊपर लिखेनुसार स्त्रियों का शरीर अपवित्र पदार्थों से भरा हुआ है इसलिये सेवन करने योग्य नहीं है, फिर भी कामांध जीव उसका सेवन करते हैं और जिससे उनकों अनेकों कष्ट भोगने पड़ते हैं । खराब लड़का हो तो उससे अथवा बहुत संतति होनेसे भी पुत्र लालनपालन की अनेक चिंता होती हैं और उनके तथा उस स्त्रीके लिये पैसा भी अधिक कमाना पड़ता है। अपने उदरपोषण के उपरान्त दूसरों का उदरपोषण करना पड़ता है और अपनी मृत्यु के पश्चात् वारसों के लिये छोड़ जाने निमित्त भी इकठ्ठा करना पड़ता है, जोड़ना पड़ता है और इसप्रकार अपना सम्पूर्ण भव उपाधिपूर्ण होता है । ( पुत्र तथा धन की कैसी दशा है इसके लिये आगे आनेवाले तीसरे तथा चौथे अधिकारों को पढ़िये।) एक स्त्रीके लिये कैसी दशा होती है यह कपिल केवड़ी के दृष्टान्त से स्पष्ट ही है। कपिल अभ्यासावस्था में एक सेठकी मदद से किसी बाई के यहाँ भोजन किया करते थे; वहाँ उसके साथ उनकी आसक्ति हो गई और शरीरसम्बन्ध होनेपर वह गर्भवती हुई। प्रसूतिकर्मके लिये जब पैसोंकी आवश्यक्ता हुई तो वहाँ का राजा जो प्रातःकाल पहले जानेवाले ब्राह्मण को दो माशा सोना दिया करता था उसके पास जाकर स्वर्ण प्राप्त करनेका विचार किया । तदनुसार पिछली रात्री को बहुत जल्दी उठकर राजा के महल की ओर जाने को निकल पड़ा । चोकीदारोंने उसे चोर समझ कर पकड़ लिया, और प्रातःकाल जब राजाके सामने उसको खड़ा किया तो उसने अपनी सब हकीकत राजा से निवेदन की। उसकी सत्यता से राजा प्रसन्न हुआ और कहा कि जो तेरी इच्छा हो सो मांग। कपिल तब राजा की आज्ञा से अशोकवाटिका में जाकर
SR No.022086
Book TitleAdhyatma Kalpdrum
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManvijay Gani
PublisherVarddhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1938
Total Pages780
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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