________________
ઉપદેશરત્નકોષ
'ઝલક
॥९॥
नियमिज्जइ नियजीहा
अविआरिअं नेव किज्जए कज्जं ॥ न कुलक्कमो अ लुप्पड़
कुविओ किं कुणइ कलिकालो अप्पा न पसंसिज्ज
निंदिज्जइ दुज्जणो वि न कयावि । बहु बहुसो न हसिज्जइ
लब्भइ गुरुअत्तणं तेण वसणे वि न मुज्झिज्जइ
मुञ्चइ माणो न नाम मरणेवि । विहवक्खएवि दिज्जइ
वयमसिधारं खु धीराणं जंपिज्जइ पिअवयणं
किज्जइ विणओ अ दिज्जए दाणं । परगुणगहणं किज्जइ
अमूलमंतं वसीकरणं सा( जो )इज्जइ धरमप्पा
अप्पसमाणो गणिज्जइ परो । किज्जइ न रागदोसो
छिन्निज्जइ तेण संसारो
॥१३॥
॥१८॥
॥२४॥