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________________ गोडवाड़में गोबर का गौरव. - - गोडवाड प्रान्त में गोबर का इतना गौरव है कि महाजनों की औरतों के सिवाय, इतर जातियों को तो इस सौभाग्य कार्य का अधिकार तकभी न रहा है; कारण इतर जातियों प्रतिदिन रूपैये आठ आने की मजूरी सहजही में कर लेती है। वह दो पैसे का गोबर के लिए बडी इज्जत का काम करना ठीक नहीं समझती है, पर हमारे महाजनों की औरतों मजूरी करने में अपनी इज्जत हलकी मानती है; और गोबर लाने में अपना विशेष गौरव समझती है। गोडवाड़ के महाजन लोग भी इतने तो समझदार है कि सालभर में रूपैये दो रूपये का छाणा-बलीता का सहज ही में फायदा कर लेते हैं कारण औरतों घरमें बैठी बैठी करेगी क्या ? सीवना पोवना गूंथना कांतना कसीदा विगेरह करे तो उस में बडा भारी कष्ट और पैदास कितनी ? इस के बनिस्पत तो दिन में २-३ वार गोबर लाने को जावे तो अलबत पैसे दो पैसे का माल तो जरूर ले आवें । अंगर घर में दर्जी बैठा सीलाई करता हो तो उस को मजुरी के सिवाय रोटी खिलाने में तो छाणे अवश्य काम आवेगें ! इस के सिवाय भी गोबर लाने वाली औरतों के गौरव और फायदे की तरफ जरा लक्ष दीजिए: (१) गोबर लानेवाली औरतों को नित्य नये कुपड़े पहि
SR No.022036
Book TitleSamavsaran Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar Muni
PublisherRatnaprabhakar Gyanpushpmala
Publication Year1929
Total Pages46
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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