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________________ भूपालादिगुणवर्णनम् समर्थनः पुमर्थानां त्रयाणां सममात्रया १४। कोशवान् १५ सत्यसन्धश्च १६ चरदृग् १७ दूरमन्त्रदृक् १८॥२७॥ आसिद्धिकर्मोद्योगी १९ च प्रवीणः शस्त्रशास्त्रयोः २०। निग्रहानुग्रहपरो २१ निर्लञ्चो २२ दुष्टशिष्टयोः २३॥२८॥ उपायार्जितराज्यश्री २४ दानशीलो २५ धुवञ्जयी २६। न्यायप्रियो २७ न्यायवेत्ता २८ व्यसनानां व्यपासकः २९॥२९॥ अवार्यवीर्यो ३० गाम्भीर्यौदार्यचातुर्यभूषितः ३१-३३।। प्रणामावधिकक्रोधः ३४ सात्विकस्तात्त्विको ३५-३६ नृपः॥३०॥ - इति नृपगृणाः॥ राजा १. पूर्ण अङ्गों वाला, २.समस्त (शुभ) लक्षणों से परिपूर्ण, ३. सुन्दर शरीर वाला, ४. मद रहित, ५. ओजस्वी, ६. यशस्वी, ७. दयावान, ८. कलाओं में निपुण, ९. शुद्ध राजवंश में उत्पन्न, १०. वृद्ध (वयोवृद्ध, धर्मवृद्ध, ज्ञानवृद्ध और आगमवृद्ध) का अनुगमन करने वाला, ११. तीन (प्रभाव, मन्त्र और उत्साह) शक्तियों से युक्त, १२. प्रजा में अनुरक्त, १३. प्रजा का स्वामी, १४. समान रूप से उपयुक्त मात्रा में तीन पुरुषार्थों (धर्म, अर्थ, काम) का समर्थन करने वाला, १५. कोशवान्, १६. सत्यनिष्ठ (वचन का पालन करने वाला), १७. गुप्तचर रूपी आँख वाला, १८. दूरदृष्टिवाला, १९. कार्यसिद्धि पर्यन्त उद्यम करने वाला, २०. शस्त्र और शास्त्र में प्रवीण, २१. दण्ड देने और कृपा करने में निपुण,-२२. लोभ में न आने वाला, २३. दुष्टों को अनुशासित करने वाला, २४. पराक्रम से राज्यरूपी लक्ष्मी की वृद्धि करने वाला, २५. दानशील, २६. निश्चित रूप से विजय प्राप्त करने वाला, २७. न्यायप्रिय, २८. न्यायवेत्ता, २९. व्यसन-त्यागी, ३०. अप्रतिरोधी पराक्रमवाला, ३१-३३. गम्भीरता, उदारता, दक्षता से सुशोभित, ३४. क्षमायाचना की अवधि तक क्रोध धारण करने वाला, ३५. सात्विक और ३६. तात्त्विक हो। देवान् गुरून् द्विजांश्चैव कुलज्येष्ठांश्च लिङ्गिनः। विहाय भवतान्येषां न विधेया नमस्कृतिः॥३१॥ १. सप्तसन्धश्च १६ प १, सतसन्धश्च १६ भ १, भ २, प २॥ ०कर्मो १९ द्योगी च २० प्रवीणः शस्त्र २१ शास्त्रयोः २२ निग्रहा २३ नुग्रहपरो २४ निर्लञ्चो दुष्टशिष्टयोः २४।।२८।। उपायार्जितराज्यश्री: २५ दानशीलो २६ धुवंजयी २७। न्यायप्रियो २८ न्यायवेत्ता २९ व्यसनानां व्यपासकः ३०।२९।। आचार्यवीर्ये ३१ गाम्भीर्यो ३२ दार्य ३३ चातुर्यभूषितः ३४। प्रणामावधिकक्रोधः ३५ सात्विक ३६ स्तात्विको नृपः।।३०॥भ १, भ २, प १, प २॥
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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