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________________ १८८ लघ्वर्हन्नीति ____फूल चुराने वाले को (मूल्य के) दस गुने से, वृक्ष काटने वाले को (नगर से) निष्कासित करना चाहिये और मनुष्य तथा गाय का अपहरण करने वाले को निश्चित रूप से गाँव से निष्कासित कर (दण्डित करना चाहिए)। यादृशोपद्रवं कुर्यात्तादृशं दण्डमाप्नुयात्। यावता तन्निवृत्तिः स्यात्तावद्रव्यं च दापयेत्॥१०॥ (व्यक्ति) जैसा उपद्रव करे उसी के अनुसार दण्ड प्राप्त करे। जितना (द्रव्य व्यय करने पर) उस (उपद्रव) की शान्ति हो उतना द्रव्य (उपद्रवी से) दिलवाना चाहिए। . घातकाद्घातशान्त्यर्थमौषधाद्यमर्थमेव च। अनुचर्यार्थमपि ग्राह्यं याक्क तथा फलम्॥११॥ घायल की पीड़ा आदि दूर करने अथवा उसकी औषधि आदि और सेवा के लिए भी हानि पहुँचाने वाले से व्यय ग्रहण किया जाना चाहिए, जैसा कर्म वैसा फल (राजा सुनिश्चित करे)। वित्तं यस्य वृथा दुष्टो नाशये द् ज्ञानतोऽथवा। अज्ञानतस्तत्प्रसत्तिश्च कार्या तन्नाशकेन वै॥१२॥ जिसका धन कोई दुष्ट मनुष्य जान बूझकर अथवा भूलवश व्यर्थ में नष्ट करे तो उस नष्ट करने वाले के द्वारा उस (क्षति) की पूर्ति की जानी चाहिए। ऋणी स्वयं न दत्ते चेद्धपो५ निश्चित्य साक्षिभिः। दापयित्वा धनं तस्माद्दमं गृह्णाति स्वोचितम्॥१३॥ यदि कर्जदार स्वयं (ऋण वापस) नहीं देता है तो साक्षियों द्वारा निश्चित कराकर धन (वापस) दिलाकर उस (कर्जदार) से राजा अपने लिए उचित दण्ड ग्रहण करता है। वादित्रनाशने दण्डो ज्ञेयो दशगुणः सदा। मृद्धातुकाष्टपात्राणां नाशे पञ्चगुणः स्मृतः॥१४॥ वाद्ययन्त्र नष्ट करने पर सदा (उसके मूल्य का) दस गुना दण्ड जानना १. २. ३. ४. ५. कुर्यातादृशं प २॥ गतकाद्वात प २॥ विज्ञं प २॥ त दज्ञे प २॥ भूयो प १, प२॥
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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