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________________ समयव्यतिक्रान्तिप्रकरणम् १६३ (वृ०) वणिजः प्रसिद्धाः शिल्पोपजीविनः श्रेणयः कार्पटिकादयश्च पाखण्डिनः प्रभृतिशाब्दादायुधीयादयोऽपि ग्राह्यास्तेषां भेदं राजा रक्षेत्पूर्वरीतिं प्रवर्तयेच्च। वणिज अर्थात् प्रसिद्ध शिल्प से जीविका अर्जित करने वालों का सङ्घटन, तीर्थयात्री आदि पाखण्डी, प्रभृति शब्द से शस्त्र धारण करने वालों का भी ग्रहण करना चाहिये। उनके भेदों की राजा रक्षा करे और पूर्व परम्परा का पालन करे। एवं प्रोक्तात्र समयव्यतिक्रान्तिः समासतः। विशेषस्तु जनैर्जेयो विशेषाच्छास्त्रसागरात्॥१२॥ इस प्रकार समय-व्यतिक्रान्ति (नियम-उल्लङ्घन) संक्षेप में यहाँ वर्णित किया गया। इस विषय में विशेष शास्त्र रूपी समुद्र (बृहदर्हन्नीति) से जानना चाहिए। ॥ इति समयव्यतिक्रान्तिप्रकरणम् सम्पूर्णम्॥
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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