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________________ ९४ लघ्वर्हन्नीति क्योंकि दोनों (पौत्र और दौहित्र) के शरीर से सब प्रकार से माता-पिता के शरीर का सम्बन्ध है। (वृ०) ननु परिणीतपुत्रीमरणे पुत्राभावे तद्धनाधिपतिः कः स्यादित्याह - विवाहिता पुत्री के मरने के बाद पुत्र के अभाव में उसके धन का स्वामी कौन होगा, यह कथन - विवाहिता च या कन्या चेन्मृतापत्यवर्जिता। तदा तद्युम्नजातस्याधिपतिस्तत्पतिर्भवेत्॥३४॥ यदि विवाहिता पुत्री की सन्तान रहित मृत्यु हो जाये तो समस्त स्त्रीधन का स्वामी उसका पति हो। (वृ०) ननु पितृविहितविभागोत्तरकालजातपुत्रः कस्यांशं प्राप्नोतीत्याह पिता द्वारा किये गये विभाजन के बाद उत्पन्न पुत्र कौन सा हिस्सा प्राप्त करेगा, यह कथन ---- विभागोत्तरजातस्तु पुत्रः पित्रंशभाग् भवेत्। नापरेभ्यस्तु भ्रातृभ्यो विभक्तेभ्योऽशमाप्नुयात्॥३५॥ पिता द्वारा पुत्रों में सम्पत्ति का विभाजन करने के पश्चात् उत्पन्न पुत्रं पिता के . हिस्से का अधिकारी होता है परन्तु पहले विभाजित अन्य भाइयों की सम्पत्ति में उसका हिस्सा नहीं होगा। (वृ०) यदिविभागात्पूर्वं उत्पन्नस्तदातु सर्वसोदरसमभागग्राही सम्भवत्येवेति फलितार्थः। यदि विभाजन से पहले उत्पन्न हुआ है तब वह सभी सगे भाइयों के बराबर का हिस्सा ग्रहण करने वाला होगा - यह फलितार्थ है। ननु पितृमरणानन्तरं विभक्तेषु पुत्रेषु समुत्पन्नपुत्रस्य कथं भागः इत्याह पिता के मरने के बाद उत्पन्न पुत्र का बँटवारा हो चुके भाइयों में किस प्रकार हिस्सा होगा, यह कथन - पितुरूा विभक्तेषु पुत्रेषु यदि सोदरः। जायते तद्विभागः स्यादायव्ययविशोधितात्॥३६॥ पुत्रों में सम्पत्ति का बँटवारा हो जाने पर पिता की मृत्यु के पश्चात् यदि भाई उत्पन्न होता है तो आय-व्यय का आकलन करने के पश्चात् उसका हिस्सा होता है।
SR No.022029
Book TitleLaghvarhanniti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandracharya, Ashokkumar Sinh
PublisherRashtriya Pandulipi Mission
Publication Year2013
Total Pages318
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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