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________________ ६६ वीश पूर्वना अने पांचडा उपरना वे अने एक वधारानो एम २३ थाय । एवी रीते जे पद काढवु होय ते काढवुं । आठ ठामना पांच संयोगीनां ५६ पद थाय तेमां ४१ मुं रूप hi थाय ? एम कोई पूछे त्यारे पहेलं पद लखवुं १२३४५, आठठामनां पद छे माटे पांचनो अंक आठमांथी बाद करतां १३ रह्या, ते यंत्र करी मध्य पंक्तिना पहेला कोठामां भरवो अने पूर्वी रीते आखी पंक्ति पूरी भरवी तेनो यंत्र नीचे मूजब गुणक भाजक २ १० १५ ७ २१ मध्य पंक्तिना अंको विलोम क्रमथी पहेला पद उपर मुकवा १५ १० ६ ३ आमां छेल्ला अंक उपरना ते आवी रीते - २१ १ २ ३ ४ ५ त्रणनो अंक ते पहेला पदना उपला चार अंकमां भेलविये तो १५६७८ आवुं रूप ३५ मुं थयुं, केमके मध्य पंक्तिना छेल्ला चार अंक भेला करिये तो ३४ अने एक वधारानो एम ३५ थाय, पछी ३६ मुं रूप लखबुं ते ' २३४५६' आठमांथी छल्ला छनो अंक बाद करतां वे रह्या, ते मध्यपंक्तिना पहेला कोठामा मुकवो | हवे मध्य पंक्तिना अंको ३६ मा पद उपर मुकवा अने पूर्ववत् आखी पंक्ति भरवी. तेनो यंत्र नीचे मूजब
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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