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________________ २४० प्रकरण १ लुं प्रस्तारनी संख्या एकथी मांडी चडतां पदनी अनुपूर्वीना प्रस्तार केटला केटला थाय तेनी संख्या जाणत्राने माटे संवेधयंत्र बनाववो. जेटला पदनी अनुपूर्वीना प्रस्तार बनाववा होय तेटला अंको अनुक्रमे एक पंक्तिमा लखी जवा. पछी पहेला अंक उपर शून्य की बीजा अंक उपर एकडो लखवो, तेनो तेनी नीचेना अंक साथे गुणाकार करी तेनी जोडेना अंक उपर लखवो. एम आगला आगला बबे अंकनो गुणाकार पाछला पाछला अंक उपर लखवो, ए रीते पंक्ति पूरी करवी, उपर उपरना अंको नीचे नीचेना आगला पदना प्रस्तारनी संख्या दर्शावे छे । जेम एकथी मांडी पांच पदनी अनुपूर्वीना प्रस्तारनी संख्या काढवी होय तो नीचे प्रमाणे संवेधयंत्र करवो ० २ ६ २४ १२० २ ३ છુ ५ आमां बेना उपर एक छे ते एक पदनी अनुपूर्वीना प्रस्तारनी संख्या । त्रणना उपर वे छे ते वे पदनी अनुपूर्वीना प्रस्तारनी संख्या । चार उपर छ छे ते त्रण पदनी अनुपूर्वीना प्रस्तारनी संख्या । पांचना उपर चोवीश छे ते चार पदनी अनुपूर्वीना प्रस्तारनी संख्या अने चोवशिनी जोडे एकसोवीश छे ते पांच पदनी अनुपूर्वीना मस्तारनी संख्या जाणवी.
SR No.022015
Book TitlePrastar Ratnavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnachandra Swami
PublisherAgarchand Bhairodan Sethiya Jain Granthalay
Publication Year1925
Total Pages282
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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